
आंवले को हमारे पूर्वजों ने धात्रीफल का नाम दिया है अर्थात् जो मानव का धाय की तरह पालन-पोषण करे। आंवले को हम वैज्ञानिक कसौटी पर विश्लेषित करें तो पाएंगे कि प्रति 100 ग्राम आंवले में 600 मिलीग्राम विटामिन सी' रहता है। इसके अलावा प्रोटीन, वसा, रेशा, कैल्शियम, खनिज, लवण, फास्फोरस, लोहा अन्य फलों की तुलना में इसमें पर्याप्त मिलता है। एक आंवले में 2 संतरे या पांच केले के बराबर 'विटामिन सी' रहता है। रक्त विकार दूर करने में आंवला जैसा कोई दूसरा फल नहीं होता है। अपनी ठंडी तासीर के कारण यह रक्त की गर्मी व चित्त के दोषों को तो दूर करता ही है साथ ही मस्तिष्क व हृदय की कोशिकाओं को भी दुरुस्त रखता है। भोजन से पहले या भोजन के बाद किसी भी रूप में आंवले का सेवन लाभदायक होता है। यह पायरिया रोग को रोकने में सक्षम है। इसके बारीक सूखे चूर्ण को मंजन के रूप में उपयोग में लाने से दांत मजबूत एवं चमकदार तो होंगे ही, साथ ही मुंह की बदबू से भी छुटकारा मिल जाएगा।
आंवले का औषधीय रूप में प्रयोग करने के कुछ उपाय इस प्रकार हैं-
आंवला चूर्ण एक चम्मच रात को सोते समय पानी के साथ लेने से या शहद के साथ चाटने से कब्ज में फायदा होता है।
आंवले का नियमित प्रयोग बवासीर और कृमि भी नष्ट करता है। जननेंद्रिय संबंधी तकलीफों में आंवले का औषधीय प्रयोग कर लाभ उठाया जा सकता है।
आंवले का तेल
Bu hikaye Sadhana Path dergisinin February 2023 sayısından alınmıştır.
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