
इसके अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन यह स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ठीक नहीं माना जाता। ऐसे दुबले-पतले लोगों को अपने आहार-विहार में परिवर्तन करना चाहिए तथा उचित योगासन या व्यायाम करना चाहिए। निम्नलिखित निर्देशों का पालन करके दुबले-पतले व्यक्ति भी हृष्ट पुष्ट बन सकते है।
• प्रोटीन्स की कमी से शरीर की पेशियां कमजोर बनी रहती हैं अर्थात् शरीर पर मांस नहीं चढ़ता, इसलिए भोजन में दूध, दही, मांस, मछली और अंडा जरूर शामिल करना चाहिए। यदि आप दोनों समय दाल-रोटी या दाल-चावल खाते हैं और दिन में तीन-चार प्याली चाय पीते हैं, तो यह हानिकारक होगा। आप हृष्ट-पुष्ट बन पाएंगे।
• यदि आप मांस, मछली या अंडा नहीं खा सकते तो सोयाबीन को अपने आहार में शामिल करें। इसमें किसी भी अनाज, दाल और फलियों से अधिक प्रोटीन्स होते हैं।
• रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से भोजन का पाचन अच्छी तरह होता है तथा पेट साफ हो जाता है। इससे शरीर में कोई रोग नहीं होता और शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
• प्रतिदिन प्रातः काल भ्रमण करें अथवा कोई उचित व्यायाम या योगासन करें। इससे भी शरीर हृष्ट पुष्ट बनता है।
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क्यों पड़ती हैं चेहरे पर झुर्रियां
स्वस्थ त्वचा ही किसी भी महिला के लिए सर्वोत्तम मेकअप होती हैं, मगर झुर्रियां चेहरे से उसकी यह रौनक छीन लेती हैं। क्या हैं झुर्रियां होने के कारण और क्या हैं इनके निवारण, जानिए इस लेख के द्वारा।

त्वचा के लिए जरूरी हैं ये विटामिन और मिनरल्स
त्वचा के भीतरी पोषण के लिए ज़रूरी है कि इसे पोषणयुक्त दुलार दिया जाए। त्वचा किस प्रकार की है, इस आधार पर ही किसी के शरीर की कार्यशीलता का पता लगाया जा सकता है। तो आइए, इसी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानते हैं

गर्भपात के बाद की कमज़ोरी से ऐसे निपटें!
किसी महिला का गर्भपात होना शारीरिक और मानसिक, दोनों स्तर पर बेहद मुश्किल होता है, इसलिए जानिए कि किसी महिला को इसके बाद अपना विशेष ध्यान कैसे रखना चाहिए।

आर्य संस्कृति के प्रतीक-शिव
देवों के देव महादेव भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। भगवान शिव सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं।

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रंगों का महत्त्व केवल होली तक ही सीमित नहीं, बल्कि मनुष्य के स्वभाव, उसके भविष्य एवं उसके स्वास्थ्य से भी इसका सीधा संबंध होता है।

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रंगों का पर्व होली पूरे भारत में हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। भारत के हर क्षेत्र में होली के विविध रूप रंग, प्रथा, मेले आदि देखने को मिलते हैं। आइए लेख के माध्यम से इस पर्व पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें।

धरती का बैकुंठ है पुरी का जगन्नाथ धाम
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ऊर्जा का रूपांतरण
जिसे तुम 'जीवन' कहते हो या जिसे तुम ‘मैं” कहते हो, वह ऊर्जा है। तुम जितने जीवंत हो, तुम जितने जागृत हो, उतने ही तुम ऊर्जावान होते हो।

क्यों की जाती है चार धाम यात्रा?
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