![रूप-लावण्य के प्रति सजगता भी जरूरी रूप-लावण्य के प्रति सजगता भी जरूरी](https://cdn.magzter.com/Sadhana Path/1678172124/articles/jpwk_Sr6C1678364580080/1678364811442.jpg)
सौन्दर्य आपके अन्दर से शुरू होता है। आप क्या खाते हैं, कितनी कसरत करते हैं, कितना आराम करते हैं, इसका आपकी त्वचा की कान्ति और बालों की चमक पर जितना असर होता है, उतना संभवतः किसी और वस्तु का नहीं। इसलिए सुबह की ताजा, स्वच्छ हवा में तीव्रगति से खूब पैदल चलें और जब भी समय व सुविधा हो, प्रतिदिन तैराकी करें। इनसे मांसपेशियां सुडौल होंगी और बदन छरहरा बना रहेगा।
घर पर ही संगीत की ध्वनियों के साथ ऐरोबिक्स भी कर सकती हैं। जब कसरत हो जाए तो ठण्डे पानी में कुछ गुलाब और लैवेण्डर तेल की बूंदें डालकर नहाएं। नहाने के बाद अपने शरीर को किसी खुरदरे तौलिए से रगड़ते जाएं। सप्ताह में एक बार किसी अच्छे उबटन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
संतुलित आहार लेना जरूरी
आहार संतुलित होना चाहिए। उसमें हरी शाक-सब्जियां, फल, गेहूं, चावल, दाल, खुरदरे पदार्थ, जैसे-दलिया, दूध-दही, पनीर सूखे फल, मांस, मछली, अंण्डे का सही संतुलन रहना चाहिए। फलों के साथ अमरूद, सेब इत्यादि फलों का छिलका भी खाएं, और सलाद में मूली, धनिया, पुदीना के पत्ते भी, जो विटामिनों से भरपूर हैं। कच्ची मूली, गाजर, बन्दगोभी, सलाद के पत्ते, पालक में विटामिन और खनिज तत्त्वों की भरमार है। अंकुरित चना और मूंग, सिंघाडे, कमलककड़ी, यह सब आपके सौन्दर्य को बढ़ाएंगे और आप चमकती हुई आंखों, नाखून, बाल और चमचमाते दांत पाएंगे।
पानी पीने की आदत डालें
आठ-दस गिलास पानी पीना बहुत जरूरी है । इससे हमारी त्वचा का तापमान ठीक रहता है। पानी हमारी हाजमे की शक्ति को बढ़ाता है, और शरीर से बेकार द्रवों को बाहर निकालता है। इसलिए खूब पानी पीने की आदत डालें।
नियमित व्यायाम आवश्यक
अगर चाहें तो जल्दी-जल्दी चलें। यह आपके रक्तसंचार और हृदय की गति को ठीक करता है। तेज चाल न भी चलें तो भी पैदल चलना आपके हित में है। घूमना ज्यादा आसान भी है और खुशगवार भी। इससे आप मांसपेशियों के अनावश्यक खिंचाव से भी बच सकेंगी और आसपास के प्राकृतिक सौन्दर्य को भी हार सकेंगी, जिससे आपका मन भी प्रसन्न रहेगा।
Diese Geschichte stammt aus der March 2023-Ausgabe von Sadhana Path.
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देश-विदेश में बसंत पंचमी के विभिन्न रंग
विविधता में एकता वाले हमारे इस देश में कई पर्व-त्योहार मनाए जाते हैं। हालांकि यहां विभिन्न क्षेत्रों में त्योहार मनाने के ढंग अलग होते हैं, पर सभी त्योहारों के पीछे उद्देश्य एक ही होता है अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना तथा हर्षोल्लास से एक साथ मिलकर अपनी खुशियों को बढ़ाना।
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बसंत ऋतु एक ऐसी ऋतु है जो अपने साथ प्राकृतिक सौंदर्य हीं नहीं लाती बल्कि मनुष्य के मन में उमंग और हर्षोल्लास भी लाती है। ऋतुओं के राजा बसंत के साथ और क्या-क्या जुड़ा है ? जानिए इस लेख से।
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अपने पारिवारिक जीवन की चर्चा या कोई उलझन कभी किसी पुरुष सहयोगी के सामने बयां न करें अन्यथा वह सहानुभूति दर्शाकर सहयोग देने की पेशकश करेगा और अंततः आपके दुख, जो दुख न होकर सिर्फ क्षणिक क्रोध था, को हवा देगा।
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सफर के दौरान खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्योंकि सफर का लुत्फ तभी लिया जा सकता है जब आपका स्वास्थ्य अच्छा हो।
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नूतन उत्साह का प्रतीक बसंत पंचमी
प्रकृति में बसंत के आगमन की टोह मन में एक नए उल्लास, आशा एवं अचानक ही लगता है कि मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन में भावों की पावन धाराएं बहने लगी हैं और हमारे तन, मन और व्यवहार में सुंदर एवं सुमधुर अभिव्यक्तियां झलकने लगती हैं। कहते हैं, प्रकृति जब मुस्कुराने लगती है, तब उसके अंतर्गत आने वाले सभी जड़-जीव एवं मनुष्यों में मुस्कुराहट फैल जाती है।