एक समाज, एक समान आस्था और श्रद्धा की छटा का पर्व है छठ, जहां • मंत्रोच्चारण नहीं लोकगीतों की गूंज होती है, जहां कोई पंडित नहीं, कोई कर्मकाण्ड नहीं, कोई ऊंचा - नीचा नहीं, कोई भेदभाव नहीं। जिस प्रकार लोकमंगल और समदर्शिता का प्रतीक है सूर्य उसी प्रकार सामाजिक एकता और आध्यात्मिक श्रेष्ठता का प्रतीक है 'छठ'। 'सामाजिक एकता' इसलिए क्योंकि इस लोकपर्व में सूर्य देव को बांस के बने जिस सूप और दउरे (डाला) में प्रसाद अर्पित किया जाता है, वह समाज की तथाकथित सर्वाधिक निम्न एवं पिछड़ी जाति के लोग बनाते हैं और आध्यात्मिक श्रेष्ठता' इसलिए क्योंकि छठ घाट अर्थात् नदियों, तालाबों या सरोवरों में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सभी जाति के लोग आपसी भेदभाव को मिटाकर एक समान श्रद्धा और आस्था के साथ एकत्र होते हैं।
सादगी, श्रद्धा एवं लोकपक्ष का महापर्व छठ सबको एक सूत्र में पिरोता है। हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य की उपासना का यह प्रसिद्ध पर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश और सीमापार नेपाल के तराई क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन अब यह लोकपर्व अपनी सीमाओं को लांघकर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। बिहार, झारखण्ड, और यू.पी. की जनता जहां-जहां जा कर बस गई वहां-वहां अपने साथ छठ पर्व को भी ले गई और देखते-ही-देखते यह पर्व हिन्दुओं के अलावे कुछ हद तक अन्य धर्मों द्वारा भी अपनाया जाने लगा।
भगवान भास्कर की उपासना का पर्व
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
क्यों हुआ तुलसी का विवाह?
कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व है। नवमी, दशमी व एकादशी को व्रत एवं पूजन कर अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को देना बड़ा ही शुभ माना जाता है।
बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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