सूत्र - हेयं दुःखमनागतम् ।।2.16।।
Yoga and Total Health|December 2022
सू पार्थ- आने वाले दुःख त्यागने योग्य हैं।
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सूत्र - हेयं दुःखमनागतम् ।।2.16।।

व्याख्या - सांख्य दर्शन की शुरूआत ही तीन प्रकार के दुःखों से होती है । आध्यात्मिक, आधिभौतिक एवं आधिदैविक । भगवान बुद्ध भी यही कहते हैं - "सर्वं दुःखम् दुःखम्" यानि सभी कुछ दुःख ही दुःख है । विवेकी पुरुष आने वाले दुःख को नष्ट करने का निरन्तर प्रयत्न करते हैं।

उनके अनुसार हमने अनेकों योनियों में जो कर्म किए हैं उनके संस्कार कर्माशय में संग्रहित होते रहते हैं और हम हर जीवन में उनके दुःख सुख रूपी फल भोगते रहते हैं। इस कड़ी से कैसे बाहर निकला जाए- कैसे इसे तोड़ा जाये यही उनके चिन्तन का विषय रहता है। 

This story is from the December 2022 edition of Yoga and Total Health.

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