वेदों में वृक्ष
Aha Zindagi|August 2024
निरंतर बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण का समाधान हमारी वैदिक ऋचाओं में समाया है। हमारी प्राच्य विद्याओं में फैली असंख्य रचनाओं में सर्वत्र प्रकृति-प्रेम और पर्यावरण चेतना का तुमुलनाद है। इसे आत्मसात करके ही हम एक सुखद भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।
शंकरलाल शास्त्री
वेदों में वृक्ष

प्राच्यविद्याओं में वृक्षों को देवों का प्रतीक मानकर पर्यावरण संरक्षण का अमर संदेश दिया गया है। हमारे प्राचीन वाङ्मय में सर्वत्र पर्यावरणसंरक्षण पर बल है। सूर्य, पृथ्वी, जल, वायु, नदी, तालाब, वृक्ष, लताएं व पशु-पक्षी इन सभी को जीवन की धड़कनों से जोड़ा गया है। इनकी पूजा का विधान है। हमारे यहां सूर्य, पृथ्वी आदि पर्यावरण घटकों पर ध्यान दिया जाता रहा है। हम प्रकृति के जितने क़रीब होंगे यक़ीनन उतने ही स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। इसीलिए तो अवसाद से घिरे व्यक्ति को हरियाली से आच्छादित विविध प्राकृतिक स्थलों के भ्रमण की सलाह दी जाती है। विभिन्न वैज्ञानिक शोधों ने यह सिद्ध किया है कि हरियाली से न केवल शांति मिलती है बल्कि अवसाद का भी खात्मा होता है। नदी, सागर, झरने, सुनहरी लताएं व घने वृक्षों से आच्छादित प्रकृति का मनोरम दृश्य देखते ही व्यक्ति ख़ुशी से झूम उठता है। ऐसे में भला क्यों न हम प्रकृति मां की शरण में जाएं? न केवल हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ऐसे उपाय सुझाए हैं बल्कि आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि खिली-खिली ख़ूबसूरत प्रकृति और पर्यावरण के तले, मानव स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकता है।

खग शोक में ओक रचते आदिकवि वाल्मीकि

هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2024 من Aha Zindagi.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2024 من Aha Zindagi.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

المزيد من القصص من AHA ZINDAGI مشاهدة الكل
वन के दम पर हैं हम
Aha Zindagi

वन के दम पर हैं हम

भौतिक विकास के रथ पर सवार मानव स्वयं को भले ही सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थ समझ ले, किंतु उसका जीवन विभिन्न जीव-जंतुओं से लेकर मौसम और जल जैसे प्रकृति के आधारभूत तत्वों पर आश्रित है।

time-read
6 mins  |
March 2025
दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!
Aha Zindagi

दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!

जब भी पानी की बर्बादी की बात होती है तो अक्सर लोग नल से बहते पानी, प्रदूषित होते जलस्रोत या भूजल के अंधाधुंध दोहन की ओर इशारा करते हैं।

time-read
4 mins  |
March 2025
वन का हर घर मंदिर
Aha Zindagi

वन का हर घर मंदिर

जनजाति समाज घर की ड्योढ़ी को भी देवी स्वरूप मानता है। चौखट और डांडे में देवता देखता है। यहां तक कि घर के बाहर प्रांगण में लगी किवाडी पर भी देवता का वास माना जाता है।

time-read
3 mins  |
March 2025
ताक-ताक की बात है
Aha Zindagi

ताक-ताक की बात है

पहले घरों में ताक होते थे जहां ज़रूरी वस्तुएं रखी जाती थीं। अब सपाट दीवारें हैं और हम ताक में रहने लगे हैं।

time-read
2 mins  |
March 2025
किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.
Aha Zindagi

किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.

बॉलीवुड में उनका प्रवेश मानो फूलों की राह पर चलकर हुआ। उनकी शुरुआती दो फिल्मों- कहो ना प्यार है और ग़दर-ने इतिहास रच दिया। बाद में भी कई अच्छी फिल्मों से उनका नाम जुड़ा।

time-read
10+ mins  |
March 2025
फ़ायदे के रस से भरे नींबू
Aha Zindagi

फ़ायदे के रस से भरे नींबू

रायबरेली के 'लेमन मैन' आनंद मिश्रा को कौन नहीं जानता! अच्छी आय की नौकरी को छोड़कर वे पैतृक गांव में लौटे और दो एकड़ कृषि भूमि पर नींबू की खेती करके राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रस्तुत है, उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

time-read
3 mins  |
March 2025
जहां देखो वहां आसन
Aha Zindagi

जहां देखो वहां आसन

योगासन शरीर को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है, बल्कि ये प्रकृति की सहज गतियां और स्थितियां हैं। आस-पास नज़रें दौड़ाकर देखने से पता लगेगा कि सभी आसन जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से ही प्रेरित हैं, चाहे वो जंगल का राजा हो, फूलों पर मंडराने वाली तितली या ताड़ का पेड़।

time-read
2 mins  |
March 2025
बांटने में ही आनंद है
Aha Zindagi

बांटने में ही आनंद है

दुनिया में लोग सामान्यत: लेने खड़े हैं, कुछ तो छीनने भी । दान तो देने का भाव है, वह कैसे आएगा! इसलिए दान के नाम पर सौदेबाज़ी होती है, फ़ायदा ढूंढा जाता है। इसके ठीक उलट, वास्तविक दान होता है स्वांतः सुखाय- जिसमें देने वाले की आत्मा प्रसन्न होती है।

time-read
4 mins  |
March 2025
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

time-read
3 mins  |
March 2025
बहानेबाज़ी भी एक कला है!
Aha Zindagi

बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

time-read
3 mins  |
March 2025