आजादी, यानी अपनी जमीं और अपना ही आसमां। समान अधिकार, समान सम्मान। हम उसी आजादी का 75वां साल मना रहे हैं। यकीनन, देश को आजाद हुए लंबा वक्त बीत चुका है। इन वर्षों में हम हर दिशा में तेजी से आगे बढ़े हैं। पर, आज भी एक सवाल फांस बना बैठा है। क्या हम सभी आजाद हैं? या फिर उसमें भी फीसदी का गणित है? किसी की आजादी ज्यादा तो किसी को खैरात में आजादी मिल पा रही है? यहां बात हो रही है, हम महिलाओं की। जिनके कंधे पर जिम्मेदारी तो पूरी है, पर क्या आजादी उसके हिस्से पूरी आई है? सवाल खासा गहरा है और गंभीर भी।
सुरक्षित हैं आप?
आजाद भारत में महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा सबसे बड़ा है। और उनकी आजादी पर लगा प्रश्नचिन्ह भी । वे न तो सड़क पर सुरक्षित हैं और न ही घर के भीतर। अपराध के बढ़ते आंकड़े तो कम से कम यही बयां करते हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 2020 की तुलना में 2021 के पहले छह महीनों में राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध में ' 63.3 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 34 फीसदी एसिड एटैक असफल प्यार या लड़कियों के इंकार की वजह से होते हैं। महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं। आंकड़ों की मानें तो 38 फीसदी पुरुष स्वीकाते हैं कि उन्होंने अपनी पत्नियों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है, जबकि 70 फीसदी महिलाएं किसी ना किसी रूप में घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। इस बाबत उत्तर प्रदेश महिला मंच की अध्यक्ष नीलम चतुर्वेदी कहती हैं कि महिलाओं की एक बड़ी जमात को अब तक यह मालूम ही नहीं है कि मानसिक, शारीरिक, यौन शोषण अपराध हैं। इसके लिए सख्त कानून भी हैं। पर, समस्या फिर वहीं आती है कि महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता नहीं है। इतने पर ही बस नहीं होता। बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं। भारत में हर नौ में एक लड़की वयस्क के हाथों यौन शोषण या हमले का शिकार होती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 18 वर्ष से कम आयु के सभी पीड़ितों में से 82 फीसदी लड़कियां होती हैं।
कार्यक्षेत्र में है क्या हाल?
This story is from the August 13, 2022 edition of Anokhi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the August 13, 2022 edition of Anokhi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
डॉक्टरी निगरानी में रहना है जरूरी
हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम के जरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार स्त्री रोग विशेषज्ञ देंगी आपके सवालों के जवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं, डॉ. अर्चना धवन बजाज
सूप से मिलेगी भीतरी गर्माहट
ठंड को मौसम हो और सूप की बातें न हो, भला यह कैसे हो सकता है। इस बार ठंड को मात देने के लिए कौन-कौन से सूप बनाएं, बता रही हैं पावनी गुप्ता
सर्दी के सिर दर्द की छुट्टी
सर्दी में सिर दर्द की समस्या बढ़ जाना आम है। यह समस्या जितनी आम है, इसका सामधान निकालना भी उतना आसान है। बस कारण को समझकर उसके निवारण के कुछ प्रयासों को अपनाना होगा, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी
स्मार्टफोन बनेगा आपका फिटनेस कोच
स्मार्टफोन के बिना अब दैनिक जिंदगी की कल्पना करना संभव नहीं। इसका इस्तेमाल सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि फिटनेस के लिए भी करें। कैसे ? बता रही हैं शांभवी
नीबू का छिलका भी है करामाती
नीबू का पूरा इस्तेमाल करना क्या आपको आता है या फिर आप भी रस निचोड़ने के बाद नीबू का छिलका यों ही फेंक देती हैं ? नीबू के साथ-साथ उसका छिलका भी कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, बता रही हैं नीलम भटनागर
बच्चे को सिखाएं मुहांसों से लड़ना
मुहांसों से लड़ाई में आप भले ही एक्सपर्ट हो चुकी हों, पर आपका टीनएज बच्चा लड़ाई के इस मैदान में अभी नया है। कैसे अपने बच्चे को मुहांसों का सामना करने का तरीका सिखाएं, बता रही हैं शमीम खान
कामकाजी महिलाओं की मंजिल अभी दूर है
हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन
कड़वे रिश्ते के कुचक्र से खुद को करें आजाद
खुशहाल रिश्ते जहां मन को सींचते हैं, वहीं कड़वे रिश्ते जिंदगी से खुशी के कण-कण को सोख लेते हैं। कड़वे रिश्ते की डोर से खुद को कैसे करें आजाद, बता रही हैं स्वाति गौड़
घर की थाली में कितना है पोषण?
क्या पेट भरना और भरपूर पोषण लेना एक बात है ? नहीं। लेकिन घर के खाने के मामले में हम मान लेते हैं कि पेट भरकर खाने से सेहत बन ही जाएगी। पर, विशेषज्ञों की राय इससे इतर है। सेहतमंद भोजन के लिए क्या-क्या जरूरी है, बता रही हैं स्वाति शर्मा
सबसे जुदा है इस जींस का अंदाज
जैसे जींस के बिना वॉर्डरोब अधूरा है, ठीक वैसे ही हाई वेस्ट जींस के बिना फैशन अधूरा है। कैसे इस जींस की करें सही स्टाइलिंग, बता रही हैं