नया साल अपने साथ नया उत्साह और नई उम्मीदें तो लेकर आता है, पर, क्या इस बदलाव का आपकी जिंदगी पर भी कोई असर पड़ता है? क्या यह साल अपने साथ आपकी जिम्मेदारियों को कम करने का कोई तरीका लेकर आया है? क्या आपके दैनिक जीवन में तनाव का स्तर थोड़ा कम हुआ है? नहीं ना! साल बदला है, पर हम महिलाओं की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है। कारण... बचपन से ही आपने अपनी मां, मौसी, चाची, बुआ को यूं ही किसी से बिना शिकायत किए चुपचाप जिम्मेदारियों को निभाते देखा है। इस साल आप उनका साथ दें और अपनी जिंदगी में कुछ तब्दीलियां करें ताकि आपकी जिंदगी से तनाव, गुस्सा और अवसाद थोड़ा कम हो और खुशियों की आमद बढ़े।
तनाव की असली वजह
महिलाओं को अपनी जिंदगी में तनाव का सामना पुरुषों की तुलना में कहीं ज्यादा करना पड़ता है क्योंकि अधिकांश महिलाएं एक साथ कई भूमिकाएं निभाती आ रही हैं। वो पत्नी, मां, बेटी, बहू और एक कामकाजी महिला की भूमिका एक साथ निभाती हैं। लगातार की जाने वाली इस मल्टीटास्किंग का असर उनकी शारीरिक सेहत के साथ ही मानसिक सेहत पर भी पड़ता है। एक अध्ययन के मुताबिक इस दोहरी जिम्मेदारी क से 80% से ज्यादा महिलाओं को तनाव का सामना करना पड़ता है। कामकाजी दुनिया में महिलाओं की बढ़ती दखल के बावजूद समाज और परिवार की अपेक्षा यही है कि हम अपनी दो पीढ़ी पहले वाली महिलाओं जैसे ही घर और परिवार की जिम्मेदारी उतनी ही शिद्दत से निभाएं। इस पारंपरिक सोच का महिलाओं की शारीरिक व मानसिक सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के पास खुद की देखभाल के लिए ना तो वक्त बचता है और ना ही ऊर्जा।
This story is from the January 06, 2024 edition of Anokhi.
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