अभिनेता शेहजान एम खान ने मौडलिंग से अपना कैरियर शुरू किया. टीवी में उन्होंने 'कुछ तो है तेरे मेरे दरमियां' के साथ अभिनय शुरू किया. वर्ष 2016 में उन्होंने 'परवरिश : सीजन 2' में झोंटी शर्मा की भूमिका निभाई और उन के अभिनय को दर्शकों ने काफी पसंद किया. इस के बाद शेहजान 'जोधा अकबर', 'सिलसिला प्यार का', 'चंद्र नंदिनी', 'पृथ्वी वल्लभ' और 'एक थी रानी एक था रावण' जैसे कई लोकप्रिय टीवी शोज में दिखाई दिए. शेहजान फिटनैस फ्रीक हैं और नियमित जिम जाना पसंद करते हैं.
शेहजान हमेशा एक अलग और चुनौतीपूर्ण भूमिका को करने में विश्वास रखते हैं. यही वजह है कि वे सोनी सब टीवी पर 'अलीबाबा : दास्तान ए काबुल' में अलीबाबा की भूमिका निभा रहे हैं, जो चैलेंजिंग होने के साथसाथ मजेदार भी है और जो उन के चरित्र से काफी मिलता है. हंसमुख और मेहनती शेहजान ने अपने बिजी शैड्यूल से समय निकाल कर बात की जो काफी रोचक थी. पेश हैं खास अंश :
आप को ऐक्टिंग करने की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं ने इंडस्ट्री में आने की कोई योजना नहीं बनाई थी. लेकिन कुछ अलग काम करने की इच्छा थी. मैं जौब पर्सन नहीं था. 9 से 5 बजे तक के किसी काम को मैं नहीं कर सकता था. मेरी बहन फलक नाज है जो एक ऐक्ट्रैस है. मैं उन का काम देखता था. परिवार में दोनों ही ऐक्टिंग फील्ड से हैं. मेरी बहन पहले सरोज खान के साथ कोरियोग्राफर थीं, बाद में उन्होंने सरोज खान के कहने पर ही ऐक्टिंग शुरू की.
शुरूआती दिनों में क्या किया और परिवार का कैसा सहयोग मिला?
Bu hikaye Mukta dergisinin November 2022 sayısından alınmıştır.
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बौडी लैंग्वेज से बनाएं फ्रैंडली कनैक्शंस
बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
औनलाइन सट्टेबाजी का बाजार गिरफ्त में युवा
दीवाली के मौके पर सट्टा खूब खेला जाता है, इसे धन के आने का संकेत माना औनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहे हैं. मटकों और जुआखानों की युवा जाता है. जगह आज औनलाइन सट्टेबाजी ने ले ली है, जो युवा पीढ़ी को बरबाद कर रही है.
सोशल मीडिया डिटॉक्स जरूरी
युवाओं के जीवन में सोशल मीडिया हद से ज्यादा हावी होने लगा है. उन में इस का एक तरह से एडिक्शन सा हो गया है. ऐसे में जरूरी है समयसमय पर इस से डिटोक्स होने की.
दीवाली नोस्टेलजिया से बचें
कई लोग ऐसे होते हैं जो फैस्टिव नोस्टेलजिया में फंसे रहते हैं और अपना आज खराब कर रहे होते हैं जबकि समझने की जरूरत है कि समय जब बदलता है तो उस के साथ नजरिया और चीजें भी बदलती हैं.
सिर्फ ट्रैंडिग चेहरा बन कर रह गईं कुशा कपिला
इन्फ्लुएंसर कुशा कपिला ऐक्टिंग कैरियर के शुरुआती दौर में हैं. कुछ प्रोजैक्ट मिल चुके हैं लेकिन याद रखने लायक कोई भूमिका नजर नहीं आई. जरूरी है कि वे अपनी सोशल मीडिया की एकरूपता वाली आदत को छोड़ें.
कूड़े का ढेर हो गया है सोशल मीडिया
सोशल मीडिया कूड़े का ढेर जैसा है, जहां अपने मतलब की या सही जानकारी जुटाने के लिए काफी जद्दोजेहद करनी पड़ती है क्योंकि यहां बैठे इन्फ्लुएंसर्स और न्यूज फीडर बिना संपादन के कुछ भी झूठसच ठेलते रहते हैं.
इयरफोन का यूज सही या गलत
इयरफोन को हम ने अपने जीवन में कुछ इस तरह जगह दे दी है कि आसपास क्या चल रहा है, हमें खबर ही नहीं होती. मानो हर किसी की अपनी एक अलग दुनिया हो, जिस में वह और उस का यह गैजेट हो और कोई नहीं.
औनलाइन ट्रैप में फंसती लड़कियां
औनलाइन डेटिंग और सोशल मीडिया ने युवाओं को एकदूसरे से जुड़ने के नए तरीके दिए हैं, लेकिन इस के साथ ही उन के फ्रौड के शिकार होने के खतरे भी बढ़ गए हैं. पढ़ीलिखी लड़कियां भी मीठी बातों में फंस कर अपने सपनों और भावनाओं के साथसाथ आर्थिक नुकसान भी उठा रही हैं.
सैल्फमेड ऐक्ट्रैस अलाया एफ
बौलीवुड में अलाया का ताल्लुक भले फिल्मी परिवार से रहा लेकिन काम को ले कर चर्चा उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर हासिल की. उन्हें भले स्टार वाली सफलता अभी हासिल न हुई पर उन के हिस्से में कुछ अच्छी फिल्में जरूर आई हैं.
इस दीवाली कुछ क्रिएटिव तरीके से करें विश
दीवाली पर वही पुराने व्हाट्सऐप फौरवर्ड मैसेजेस पढ़ कर या भेज कर यदि आप बोर हो चुके हैं तो थोड़ी सी क्रिएटिविटी कर आप इसे इंट्रेस्टिंग बना सकते हैं और वाहवाही लूट सकते हैं. कैसे, जानिए.