दूरदर्शन के प्रसिद्ध धारावाहिक 'हम लोग' और 'देख भाई देख' से अभिनय क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री अनन्या खरे मशहूर अभिनेत्री हैं. उन्होंने कई पौपुलर शो में काम किया, जिन में 'आहट', 'पुनर्विवाह', 'रंग रसिया' आदि हैं. अनन्या ने सिर्फ टीवी शो ही नहीं, फिल्मों में भी जबरदस्त भूमिकाएं निभाई हैं, जिन में 'चांदनी बार ' फिल्म की दीपा से 'देवदास' फिल्म की कुमुद है. कई शानदार किरदारों से इंडस्ट्री में अलग पहचान बनाने वाली अभिनेत्री अनन्या खरे ने परदे पर कुछ नकारात्मक और सकारात्मक भूमिकाएं निभाई हैं और हिंदी एंटरटेनमैंट इंडस्ट्री में उन्होंने दर्शकों का प्यार हमेशा पाया है. टैलीविजन हो या हिंदी फिल्में, उन्होंने अपने अभिनय से सब को मोहित किया है.
क्रिएटिव माहौल में जन्मीं अनन्या के पिता विष्णु खरे एक पत्रकार हुआ करते थे. उन के दादा संगीतज्ञ थे. हालांकि अनन्या ने कभी अभिनय के बारे में सोचा नहीं था, लेकिन क्रिएटिव फील्ड उन्हें पसंद थी और यही वजह थी कि वे मुंबई आईं और अभिनय की शुरुआत की. काम के दौरान उन्होंने 10 साल का ब्रेक लिया और पति डेविड के साथ रहने विदेश चली गईं. लेकिन बाद में वे फिर आ कर इंडस्ट्री से जुड़ गईं. वे स्पष्टभाषी हैं और समय के साथ चलना जानती हैं.
अनन्या स्क्रीन पर नैगेटिव किरदार निभा कर अधिक प्रसिद्ध हुईं और इस चरित्र में उन्हें काफी पसंद भी किया गया. फिल्म 'देवदास' के बाद उन्हें नकारात्मक किरदार के लिए पहचाना गया और उन की एक अलग पहचान बनी.
सही मित्र का होना जरूरी
This story is from the March 2023 edition of Mukta.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the March 2023 edition of Mukta.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
बकलोल से बेफकूफ बनाते फिनफ्लुएंसर्स
सोशल मीडिया पर दर्जनों फाइनैंस इन्फ्लुएंसर्स भरे पड़े हैं. सब एक से बढ़ कर एक अपने सब्सक्राइबर्स को अमीर बनने के तरीके बता रहे हैं, हैरानी यह है कि अपने तरीकों से ये खुद अमीर नहीं बन पा रहे हैं, फिर यह फालतू गप्प हांकने का क्या मतलब?
आस्ट्रेलिया में टीनएजर्स के लिए सोशल मीडिया बैन
आस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के टीनएजर्स के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करने पर रोक लगी है. यह फैसला ऐसे समय लिया गया है जब दुनियाभर में युवा और टीनएजर्स इस की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं.
यंग गर्ल्स के लिए सैक्सी फील करना गलत नहीं
क्यों हमारे समाज को रिवीलिंग कपड़े पहनने वाली, लेटनाइट पार्टीज में जाने वाली, अपनी सैक्स डिजायर को एक्स्प्रेस करने वाली लड़कियां बदचलन, गलत मानी जाती हैं और दबी, ढकी, डरीसहमी, हां में हां मिलाने वाली, नजरें नीचे रखने वाली लड़की सही मानी जाती है?
धर्म को व्यापार बनाती बाल कथावाचकों की फौज
बाल कथावाचकों की सोशल मीडिया पर लंबी चौड़ी भीड़ खड़ी हो गई है, सारी जद्दोजेहद फौलोअर्स और सब्सक्राइबर्स पाने की है. जिस उम्र में इन्हें स्कूल में होना चाहिए, हाथों में किताबकौपी व कलम होनी चाहिए, वहां इस तरह का धर्मांध ढोंग करने की प्रेरणा इन्हें मिल कहां से रही है, जानिए.
क्वीन ऑफ हार्ट्स अनुष्का सेन
ग्लोबल पहचान हासिल कर चुकीं टैलेंटेड अदाकारा अनुष्का सेन ने इंटरनैशनल रिश्तों को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाई है. टीवी, सोशल मीडिया और बौलीवुड तीनों में उन्होंने अपनी अदाओं के जलवे बिखेरे हैं.
वायरल होने के चंगुल में फंसी जर्नलिज्म
खबर की तह में जाना अब लगभग खत्म हो चुका है. जो खबरें आती हैं वे सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से आती हैं जिस के चलते पत्रकार भी उसी पर निर्भर रहते हैं. इस का असर ऐसा होने लगा है कि पत्रकार भी सोशल मीडिया में वायरल हो जाने के लिए खबरें बना रहे हैं.
हसीनाओं के लीक सैक्स वीडियोज
आएदिन किसी न किसी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का प्राइवेट वीडियो लीक हो जाता है और उस के बाद वह रातोंरात सुर्खियों में आ जाता हैं, ये लोग सुर्खियों में आते भी इसलिए हैं क्योंकि युवा इन्हें रातदिन देखतें हैं, जिस से इन की फैन फोलोइंग लाखों करोड़ों में हो जाती है और वायरल होने के लिए वे किसी भी हद तक गुजर जाते हैं.
सोशल मीडिया माफिया के सहारे ट्रंप की नैया पार
अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के विश्लेषणों में सोशल मीडिया में उपजे उन माफिया इन्फ्लुएंसर्स की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिन्होंने किसी को जिताने तो किसी को हराने की सुपारी ली होती है.
बौडी लैंग्वेज से बनाएं फ्रैंडली कनैक्शंस
बौडी लैंग्वेज यानी हावभाव एक तरह की शारीरिक भाषा है जिस में शब्द तो नहीं होते लेकिन अपनी बात कह दी जाती है. यह भाषा क्या है, कैसे पढ़ी जा सकती है, जानें आप भी.
औनलाइन सट्टेबाजी का बाजार गिरफ्त में युवा
दीवाली के मौके पर सट्टा खूब खेला जाता है, इसे धन के आने का संकेत माना औनलाइन माध्यमों का सहारा ले रहे हैं. मटकों और जुआखानों की युवा जाता है. जगह आज औनलाइन सट्टेबाजी ने ले ली है, जो युवा पीढ़ी को बरबाद कर रही है.