कहीं आप ममाज बौय तो नहीं
Mukta|August 2024
'ममाज बौयज' होना गलत नहीं है, बल्कि इस से सहानुभूति और कोमल व्यवहार ही मिलता है मगर अपनी मां पर हर काम के लिए निर्भर रहना कमजोर भी बना सकता है.
गरिमा पंकज
कहीं आप ममाज बौय तो नहीं

'ममाज बौय' शब्द का इस्तेमाल सामान्यतया ऐसे को इंगित करने के लिए किया जाता है जिस में आत्मनिर्भरता की कमी होती है और जो युवा होने के बाद भी अपनी मां पर अत्यधिक निर्भर रहता है. हालांकि इसे नैगेटिव रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन बदलते नजरिए ने आज इस शब्द के इस्तेमाल के तरीके में बदलाव ला दिया है. हाल के वर्षों में इस शब्द का इस्तेमाल ऐसे लड़के या पुरुष को दर्शाने के लिए किया जाने लगा है जो अपनी मां की सराहना करता है, उन का सम्मान करता है और उन के साथ गहरा लगाव रखता है.

शोधों से पता चलता है कि अपनी मां के साथ मजबूत रिश्ते रखने वाले लड़के और पुरुष मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, अधिक सहानुभूतिभरा स्वभाव रखते हैं और महिलाओं के साथ उन के रिश्ते बेहतर होते हैं. यह भी सच है कि वे अपनी मां के बिना कोई काम नहीं कर सकते.

इस शब्द का पहली बार प्रयोग 1900 के दशक के प्रारंभ में किया गया था. इस का प्रयोग सिगमंड फ्रायड और बेंजामिन स्पाक जैसे सिद्धांतकारों और बाल विकास शोधकर्ताओं ने भी किया है. ऐथलीट से ले कर बिजनैसमैन तक कई पुरुष गर्व से दावा करते हैं कि वे ममाज बौयज हैं. इस में देखा जाए तो कोई बुराई नहीं है. मुश्किल तब आती है जब इन की शादी होती है.

एक पत्नी अपने पति पर पूरा हक चाहती है और इस प्यार को किसी के साथ बांटना नहीं चाहती. मगर ये पत्नी को आधा अधूरा प्यार और समय दे पाते हैं क्योंकि बाकी समय और प्यार तो मां के नाम होता है. ये हर बात मां से पूछ कर करना चाहते हैं जैसा कि इन्हें शुरू से आदत होती है. मगर यही बात पत्नी को चुभने लगती है. पत्नी ही नहीं, अकसर गर्लफ्रैंड्स भी ममाज बौयज को पसंद नहीं करतीं.

मोहित एक 23 साल का नौजवान है और अपने मांबाप के साथ रहता है. वह इकलौता बेटा है, इसलिए अपनी मां का ज्यादा ही दुलारा है. बचपन से उस के सारे काम उस की मां करती आ रही है, उस के कपड़े धोना, बैड ठीक करना, चादर बदलना, उस के कपड़ों पर प्रैस करना, उस के जूते साफ करना, उस के कमरे के लिए नए परदे लाना, खाना टेबल पर रख कर जाना, उस के सोने का इंतजाम देखना और यहां तक कि सुबह समय पर उठाना भी. वह एग्जाम देने जाता तो मां उस का बैग भी संभालती. अब औफिस जौइन करने के बाद भी मां ही उस का बैग सही करती है. वह कहीं भी जाता है तो मां को साथ ले जाता है.

This story is from the August 2024 edition of Mukta.

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