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ज्ञानवापी मामले में नेता कूदेंगे तो बढ़ेगा तनाव
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, जब मुस्लिम जुटे तो दूसरे पक्ष से हर-हर महादेव का उद्घोष होने लगा।
जरूरी है जल संरक्षण
'पुराने तालाब, कुएं, बावड़ी, जोहड़, टांके या झील अपने अंतस में बरसात के पानी को तो सहेजते ही थे, उनमें संचित जल धीरे-धीरे धरती के अंदर जाकर भूगर्भीय जल के स्तर को बचाए रखने में भी मदद करता था। लेकिन दुर्भाग्य से विकास की आधुनिक अवधारणा ने इस सच को अनदेखा कर दिया और इन तालाबों की जमीनों को पाट दिया। गर्मी के मौसम के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से जल संकट की खबरें सामने आने लगती हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। राजस्थान के कोटा शहर का उदाहरण ही लें। यह शहर चंबल नदी के किनारे बसा है। लेकिन इस शहर की अनेक बस्तियों में पानी की किल्लत हो गई है। स्थिति यह है कि कई बस्तियों में तो नलों से बूंद-बूंद टपकने वाले पानी के सहारे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए लोगों को रात-रात भर जागना पड़ता है।
औषधि केंद्र से पूरे विश्व के लोगों को होगा लाभ
अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक पारम्परिक औषधि केंद्र की स्थापना भारत के सहयोग से भारत में किया जाना (इस औषधि केन्द्र की स्थापना के लिये भारत 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा) अपने आप में आभास दिलाता है कि पूरा विश्व ही अब भारतीय पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली पर एक तरह से भरोसा जता रहा है और भारत को यह जिम्मेदारी दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है कि भारतीय पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली को विश्व के नागरिकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया जाये। भारत पूरे विश्व के लिए फॉर्मेसी हब तो पहले से ही बन चुका है।
एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय पहलवानों का दिखा जलवा
पिछले दिनों मंगोलिया में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों ने कुल 17 पदक जीते।
आखिर क्यों गहरा रहा है देश में बिजली का संकट?
भीषण गर्मी के बीच बिजली की तेजी से बढ़ती मांग के कारण देश के कई राज्यों में बिजली की कमी का संकट गहरा रहा है।
हिट रहने के लिये फिट रहना जरूरी
स्वास्थ्य ही धन है, स्वस्थ माहौल स्वस्थ लोगों को बनाता है, अगर हिट रहना है तो फिट रहना होगा, योग से करो खुद को निरोग, जब रखोगे शरीर का ध्यान तभी कर सकोगे सारे काम, देश में नागरिक स्वास्थ्य हैं तो देश स्वास्थ्य इत्यादि अनेक वाक्यांश या कहावतें हमने अपने पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों, बुद्धिजीवियों से सुने होंगे परंतु इन विचारों पर चलकर अपना शरीर स्वस्थ रखकर मंजिल को पाना अपेक्षाकृत कम लोग करते हैं।
संघर्ष एवं संकल्प के पर्याय थे संत राजनेता लक्ष्मी नारायण गुप्ता नन्ना जी
श्रीलक्ष्मी नारायण जी गुप्ता का जन्म 6 जून 1918 को ईसागढ़ जिला अशोकनगर नामक स्थान पर हुआ।
मुख्यमंत्री ने तेलघानी नाके के समीप रेलवे अंडरब्रिज का किया लोकार्पण
राष्ट्रीय और साहित्यिक चेतना विकसित करने में पंडित माधवराव सप्रे का अमूल्य योगदानः श्री बघेल
जागिए सरकार इससे पहले कि चेन्नई जैसे हालात बनें
कोई माने या ना माने प्रदेश का सरकार महकमा अपनी जिम्मेदारी निभाने में सौ फीसदी तो छोड़िये, सत्तर फीसदी तक भी नहीं आता है। ये हालात सभी सरकारी विभागों के हो सकते हैं, मगर देश की सबसे बड़ी समस्या पानी से ताल्लुक रखने वाले महकमों के काम धरातल पर कम ही हो रहे हैं और जो भी हो रहे हैं कागज की नाव पर चल रहे हैं। ये दावा 'ओपन आई न्यूज' हवा में नहीं कर रही है बल्कि सारे दस्तावेजी सबूत के साथ कर रही है।
संसाधनों की आत्मनिर्भरता में ही है समाधान
मुद्रास्फीति कह लो या महंगाई। कोरोना संत्रास से अपेक्षाकृत मुक्ति के बाद यह वही निरंतर पीड़ा है, जिसने आम आदमी ही नहीं, देश के हर छोटे कामगार, छोटी जोत के किसान और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग के निवेशक के बखिये उधेड़ कर रख दिये हैं। प्रश्न केवल यह नहीं है कि पिछले दस महीनों में हमारा थोक मूल्य सूचकांक दस प्रतिशत से ऊपर और अब लगभग सोलह प्रतिशत को स्पर्श कर गया। यह भी नहीं कि खुदरा मूल्य सूचकांक 7.8 पर चला गया। असल आर्थिक अव्यवस्था तो इसके साथ पैदा कमी और चोरबाजारी के मनोविज्ञान से पैदा हुई है। बाजार की गतिविधियों से पैदा हुई है। महंगाई का जमाना है, चुनिन्दा लोगों के हाथ में अधिक कमाई आ रही है। धन शोधन की प्रवृत्ति बढ़ी है।
देशहित में गांधी जी का सम्मान जरूरी
राजधानी के संसद मार्ग पर बनी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) बिल्डिंग के बाहर लगी यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियों के पास खड़े होकर बैंक के कुछ मुलाजिम बात कर रहे हैं कि अगर उनके बैंक ने कुछ करेंसी नोटों पर गांधी जी के जल चित्रों के अलावा किसी अन्य महापुरुष के चित्रों को भी जगह देनी शुरू कर दी तो क्या होगा ? दरअसल रिजर्व बैंक के मुंबई, दिल्ली, कानपुर आदि के दफ्तरों में आजकल इस तरह की चर्चाएं चल रही हैं। इसकी वजह यह है कि रिजर्व बैंक में शीर्ष स्तर पर विचार हो रहा है कि कुछ नोटों पर कुछ अन्य महापुरुषों के जल चित्र भी शामिल कर लिए जाएं। यानी गांधी जी के साथ कुछ करेंसी नोटो में कुछ अन्य महापुरुषों को भी जगह मिल जाए। अगर यह होता है तो फिर तमाम दूसरी हस्तियों के जल चित्र भी आरबीआई की तरफ से जारी होने वाले नोटों पर शामिल करने की मांग होने लगेगी। यह निश्चित है, इसलिए भारत के करेंसी नोटों पर बापू के ही जल चित्र बनें रहें तो सही होगा। यह बात समझ से परे है कि हमारे नोटों में गांधी जी को अपदस्थ करने की कोशिशें क्यों होने लगी हैं। इसकी जरूरत ही क्या है? क्या इस तरह की किसी ने मांग की है ?
दबंग होती चीन से निबटने की रणनीति
टोक्यो में मई 23-24 को संपन्न हुए क्वाड शिखर सम्मेलन में कुछ दूरगामी नीति निर्णय लिए गए जिससे कइयों को हैरानी हुई।
ग्राउंड वाटर के बचाव और संरक्षण की कवायद - सिर्फ कागजों पर
'विश्व जल दिवस 2022 के लिए थीम बनी है 'ग्राउंड वाटर: मेकिंग द इनविजिबल विजिबल' यानी भूजल अदृश्य को दृढयमान बनाना। इस वर्ष 2022 में 'वर्ल्ड वाटर डे' का उद्देश्य ग्राउंड वाटर की खोज संरक्षण और उपयोग करना है। परंतु हकीकत जो सामने आ चुकी है और आ रही है उससे लगता है कि ग्राउंड वाटर के प्रबंधन बचाव और संरक्षण की कवायद सिर्फ कागजों पर ही चल रही है। इस प्रबंधन को देखने वाले सरकारी विभागों यानी प्रदूषण नियंत्रण मंडल, केंद्रीय भूजल अथार्टी एवं स्थानीय प्रशासन के बारे में ग्राउंड वाटर पर बनी 'एक्सपर्ट कमेटी ने जुलाई 2019 की रिपोर्ट में कहा है कि इन तीनों विभागों के बीच कोई समन्वय नहीं है। ग्राउंड वाटर प्रबंधन की कवायद एक दूसरे को कागजों में भेजकर पूरी हो रही है। नतीजा, भारत ने 122 से 199 बिलियन मीटर क्यूब भूजल घट चुका है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भूजल की भयावह स्थिति की पुष्टि अधिकारिक तौर पर भी हो चुकी है।'
सहभागिता से होगा गांवों का कायाकल्प
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के लिए ग्राम पंचायतों का सक्रिय, कार्यकुशल और प्रभावशाली होना अत्यावश्यक है। पंचायतें प्राचीन काल से ही अस्तित्व में रही हैं।
मोदी के भरोसे आखिर कब तक आगे बढ़ेगी भाजपा?
हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव से ही आगे बढ़ रही है।
राष्ट्रीय, अखंडता एवं एकरूपता देश की अंतर्निहित शक्ति
करीबन आठ सौ से हजार वर्षों की परतंत्रता के बाद अनेक जीवनियों का बलिदान देने और विभिन्न संघर्षों के बाद हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई है।
रूस से मुंह मोड़ने का बार-बार दबाव बना रहा है अमेरिका, क्या यह भारत के फायदे की बात है?
क्या भारत को रूस के साथ अपने रिश्ते को थोड़ा ढीला छोड़ देना चाहिए?
पर्यावरण प्रदूषण का चौतरफा हमला
समग्र रूप से पर्यावरण में अपशिष्ट पदार्थों का बिगड़े अनुपात में मिलना ही प्रदूषण को वातावरण में जन्म देता है। वैसे तो प्रदूषण के कई प्रकार हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि इत्यादि। पर वायु प्रदूषण इन सब में सर्वाधिक खतरनाक और मानवीय जीवन के लिए संहारक है। वायु में विषैली गैस के मिश्रण धूल और उद्योग द्वारा फैलाए गए जहरीले अपशिष्ट गैसों से वायु प्रदूषण तेजी से फैलता है।
बुजुर्गों की सलाह,जीने की नई राह
यह विडंबना है मनुष्य अत्यंत अनुभवी परिपक्व,प्रबुद्ध शालीन हो जाता है तब उसके अनुभव कार्य के परिपक्व मस्तिष्क का हम सदुपयोग नहीं करते उन्हें अवकाश प्रदान कर देते हैं यह भी इस सिक्के का दूसरा पहलू है कि किस उम्र में शरीर में थकावट और वृद्धावस्था आ जाती है पर हम उन्हें सम्मान और यथा योग्य महत्व देकर उनके मार्गदर्शन और परामर्श का यथोचित लाभ लेकर अपने जीवन व्यवसाय अथवा नई नीतियों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, पर अमूमन ऐसा होता नहीं है।
जीवन की रक्षा के लिये पृथ्वी संरक्षण जरूरी
ग्लोबल वार्मिग के रूप में जो आज हमारे सामने हैं। ये आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा।
पर्यावरणीय नियमों के पालन संबंधी तथ्य की जांच की जिम्मेदारी रेरा ने नगर निगम पर डाली
रेरा प्रदेश के तमाम आवासीय और व्यावसायिक भवनों के रेरा में पंजीकरण के पूर्ण उन तमाम अनुमतियों की तो जांच करके पंजीकरण करता है परंतु सबसे महत्वपूर्ण अनुमति यानि पर्यावरण संबंधी अनुमतियों को दरकिनार कर रहा है। जिसकी आवश्यकताओं को लेकर ना सिर्फ प्रदेश के पर्यावरण संबंधी विभागों ने इनकी जरूरत बतलाई है बल्कि केंद्र सरकार के विभाग भी कई सूचनाएं जारी कर चुके हैं। इतना ही नहीं पर्यावरण से जुड़े विषय जैसे जल उत्खनन पर भी रेरा गंभीर नहीं है जब इन दोनों महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुद रेरा गंभीर नहीं है तो फिर आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र के प्रोजेक्ट के सर्वेसर्वा कितने गंभीर होंगे यह चिंतनीय विषय है।
परमाणु अप्रसार संधि पर लगी जंग
वैश्विक शांति सद्भावना और सौहार्द्र के लिए वैश्विक देशों ने एक मत हो कर परमाणु अप्रसार संधि पर 1970 में लगभग विश्व के सारे देशों ने अपनी मुहर लगाई थीद्य विश्व के 191 देशों ने अपनी सहमति जताकर परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए थेद्य यह इस परमाणु संधि का मूल् आदर्श यही था कि मानव जाति के लिए हर संभव परमाणु हथियारों और इस खतरनाक तकनीक के प्रचार प्रसार को रोकना थाद्य जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं थे वह भी इस संधि में शामिल हो गए थे पर परमाणु हथियार संपन्न देश भी इस बात से सहमत हैं कि परमाणु हथियार बनाने एवं इसके उपयोग पर प्रभावी नियंत्रण लगेद्य द्वितीय युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर अणु, परमाणु बमों का भयानक परिणाम जापान में पूरी दुनिया के लोग देख चुके थे, अनुभव कर चुके थे।
तेल की धार - चौतरफा मार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार पेट्रोल डीजल की कीमतों के बढ़ने से पांव पसार रही महंगाई पर चिंता जाहिर की है। भले ही इसके लिए उन्होंने राज्यों को जिन्होंने वेट टेक्स नहीं घटाया जिम्मेदार बताकर अपनी इतिश्री कर ली हो लेकिन इतना तय है कि तेल की धार और गरीबों पर मार बदस्तूर जारी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में क्रूड तेल की कीमतें घट रही हैं,रूस 35 डालर प्रति बेरेल का डिस्काउंट देने तैयार है।रुस से सस्ता क्रूड खरीदने पर अमरीका को आपत्ति भी नहीं है।बेंट क्रूड के दामों में भी लगभग 8 डालर की कमी आई है मगर इसका असर भारतीय बाजार पर नहीं दिख रहा है।
गंगा-जमुनी सांस्कृतिक विरासत को सहेजें
यह पहली बार नहीं है जब हिंदुओं का त्योहार रामनवमी और मुसलमानों का रमजान साथ-साथ मनाया गया हो। यह भी पहली बार नहीं है जब साझे त्योहारों के मौसम में देश में सांप्रदायिकता फैलने का खतरा उमड़ा हो।
वैश्विक स्तर पर भारत का योग, आयुर्वेद, स्वास्थ्य क्षेत्रों में बढ़ता रुझान रेखांकित करना जरूरी
वैश्विक स्तरपर विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल 2022 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य 193 देशों तथा दो संबंद्ध देश हैं, द्वारा स्वास्थ्य दिवस को 2022 की थीम, हमारा ग्रह हमारा स्वास्थ्य के साथ मनाया जा रहा है।
यूक्रेन के सुरक्षा संकट में संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता
रूस और अमेरिका के वर्चस्व की लड़ाई में यूक्रेन दो पाटों के बीच घुन की तरह पिस रहा है।
यूक्रेन में गूंज रही चीखें
युद्ध से होती है महज तबाही, यह कोई समाधान नहीं
सैकड़ों संस्थानों ने किया एनओसी हेतु अप्लाई भोपाल सबसे आगे
भोपाल अग्नि दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करने और ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाने वाले प्रयासों को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया में काफी तेजी आ गई है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2019 में हमीदिया अस्पताल में हुई दुर्घटना के बाद भोपाल नगर निगम ने काफी सख्ती बरतते हुए कई संस्थानों को नोटिस जारी किए हैं। नतीजा यह हुआ कि सैकड़ों संस्थानों ने अपने अपने संस्थानों के लिए आवश्यक फायर एनओसी हेतु आवेदन किया और निरीक्षण उपरांत एनओसी देने की प्रक्रिया भी सतत जारी है गौरतलब है कि दैनिक सांध्य प्रकाश ने विगत दिनों यह सितंबर 2021 और नवंबर 2019 में इस संवेदनशील मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
विदेशी निवेश के आकर्षक का केंद्र बन चुका है भारत
भारत अब विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश का एक आकर्षक केंद्र बन चुका है। मेक इन इंडिया अभियान की मदद से भारत हाई-टेक विनिर्माण का केंद्र बनने की राह पर है।
देशहित में युवाओं की ऊर्जा का हो सदुपयोग
भारत में सदियों से हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित अनेक जाती, प्रजाती, उपजाति, धर्म के मानव समुदाय आपस में सामाजिक सद्भाव, सौद्रह्यता, समरसता से रहकर भारतीय परंपराओं को आगे बढ़ाने की मिसाल कायम की है और यही परंपरा आगे कायम रखने हमारी अगली पीढयों को सीख, नसीहत और प्रोत्साहन देने का काम हमारी वर्तमान युवा पीढ़ी को सौंपने का है ताकि समाज के सद्भाव को बनाए रखने सांप्रदायिकता सद्भाव की भावना को कायम रखने, स्वार्थ प्रवृत्ति एवं क्षुब्ध निजी इच्छाओं से ऊपर उठकर माहौल बिगाड़ने वालों का डटकर मुकाबला करने में जांबाज़ी और जज्बे से हमारे पूर्वजों की इस धरोहर को संभालने में कायम रखेंगे।