पवार पस्त, ठाकरे ध्वस्त और फडणवीस मस्त
DASTAKTIMES|July 2022
महाराष्ट्र राज्य में सत्ता पलट हो गया है, लेकिन पिछले दो सप्ताह के बीच इस प्रकार सत्ता पलट का खेल हुआ है कि वह एक इतिहास बन गया है। इस राजनीतिक खेल में ऐसी चाल चली गई कि कई लोग एक ही तीर से घायल हो गए। चाहे वह एनसीपी के शरद पवार हों या शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अथवा कांग्रेस की केन्द्रीय इकाई। इसके अलावा भाजपा के ही देवेंद्र फडणवीस भी ठिकाने लग गए हैं। किसने चाल चली थी सबको पता है और किसी को पता भी नहीं है।
राम दिनेश
पवार पस्त, ठाकरे ध्वस्त और फडणवीस मस्त

एक तीर से कई शिकार!

देश के औद्योगिक राज्य महाराष्ट्र की राजनीति पिछले कुछ दिनों से खासा चर्चा में बनी हुई थी। महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर विभिन्न राज्यों के अलावा पड़ोसी देशों में भी जमकर चर्चा हो रही थी। देश-विदेश में लोग न्यूज चैनलों पर महाराष्ट्र की खबरों को लेकर नजर गड़ाए हुए थे। वहां क्या हलचल हो रही थी, उस पर ज्यादा चर्चाएं होती रहीं। दरअसल, महाराष्ट्र राज्य सत्ता पलट हो गया है, लेकिन पिछले दो सप्ताह के बीच इस प्रकार सत्ता पलट का खेल हुआ है कि वह एक इतिहास बन गया है।

इस राजनीतिक खेल में ऐसी चाल चली गई कि कई राजनीतिक योद्धा एक ही तीर से घायल हो गए। चाहे वह एनसीपी के शरद पवार हों या शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे अथवा कांग्रेस की केन्द्रीय इकाई। इसके अलावा भाजपा के ही देवेंद्र फडणवीस भी ठिकाने लग गए। किसने चाल चली थी, सबको पता है और किसी को पता भी नहीं है।

शिवसेना में फूट डाल दी गई, शिवसेना के 44 विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई शिवसेना के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एनसीपी के साथ महाविकास आघाड़ी गठबंधन से अलग हो गए। उनका आरोप था कि इस गठबंधन में रहना शिवसेना के लिए नुकसानदेह है।

हिंदुत्व के विचारों को एकत्र कर सम्मान की वकालत करते हुए बागी विधायकों ने भाजपा से समर्थन लेते हुए शिवसेना की नई सरकार बनवा दी और 4 जुलाई को शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंद ने 288 सदस्य वाले विधान सभा में 164 विधायकों के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की परीक्षा भी पास कर ली। भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनकर ही संतोष करना पड़ा।

भाजपा को आंखें दिखाने वाले शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी अपने पार्टी के विधायकों पर कंट्रोल रखने में एक प्रकार से फेल ही साबित हुए। खुद को बालासाहेब ठाकरे का वारिस बताने वाले उद्धव की नाक के नीचे से उनके पार्टी के दो तिहाई विधायक चले गए। कुछ तो उनके साथ रहकर खाना खाने के बाद भी चले गए। उद्धव इस खेल में पूरी तरह से पस्त हो गए। दिल्ली में बैठी कांग्रेस इकाई उद्धव के साथ रहने का दावा करती रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की कई बार उद्धव से बात भी हुई लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं था। वह खुद अचंभित थीं की ऐसा कैसे हो गया?

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