नए तेवरों से चल रही यूपी सरकार
DASTAKTIMES|April 2023
योगी सरकार की पहली पारी में पर्दे के पीछे विरोधी माने जाने वाले कई चेहेरों का राजकाज से सीधे दखल खत्म हो चुका है। या तो वे दायित्व से मुक्त हो गए हैं या बाहर भेज दिए गए हैं। संघ परिवार से लेकर सरकार और संगठन तक में उनके शुभचिंतकों की संख्या बढ़ी है। राजकाज के अनुभव के साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा है। सीएम के सलाहकारों की मानें तो योगी अब कड़े और बड़े निर्णय लेने में बिल्कुल भी नहीं हिचकिचाते।
अजय कुमार
नए तेवरों से चल रही यूपी सरकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सरकार टू का भी एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 25 मार्च 2022 को योगी ने जब दूसरी बार प्रदेश की कमान संभाली थी उसके बाद से आज तक यूपी में काफी कुछ बदल गया है। एक तो सबसे लंबे समय तक यूपी का मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड उनके नाम हो गया है, दूसरे चुनावी वायदों को पूरा करने में भी योगी सरकार प्रतिबद्ध नजर आ रही है। इस एक साल में योगी काफी बदले-बदले नजर आए। उनके कामकाज का तरीका अपनी ही पिछली सरकार के मुकाबले काफी बदला हुआ नजर आ रहा है। अपराधियों के खिलाफ वह और भी सख्त हो गए हैं। योगीराज में बाहुबली अतीक अहमद ने एक मर्डर करके सरकार के सामने चुनौती पेश करने की कोशिश की तो अतीक का पूरा परिवार और उसके पालतू गुर्गे जिंदगी की भीख मांगने सुपीम कोर्ट तक पहुंच गए।

योगी ने 36 साल बाद प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने का रिकॉर्ड तो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय संपूर्णानंद के बाद राज्य में सबसे लंबे समय तक लगातार मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान भी बना दिया। हालांकि कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर विपक्ष आरोप लगाता रहता है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में योगी सरकार का दामन अभी भी पाक-साफ नजर आ रहा है। योगी सरकार का एक वर्ष पूर्ण होने से एक दिन पूर्व 24 मार्च को वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी योगी सरकार की खूब पीठ थपथपा के यह यह साबित कर दिया कि उनके और योगी के बीच अच्छा सामजस्य बना हुआ है। योगी ने प्रेस कांफ्रेस करके अपनी सरकार की उपलब्धियों की चर्चा की, लेकिन विपक्ष को यूपी में सब कुछ हरा-हरा नजर नहीं आ रहा है। खासकर अपराध के मामले में विपक्ष योगी सरकार से ज्यादा ही उखड़ा हुआ है। उसे लगता है कि योगी सरकार अपराध के नाम पर एक वर्ग विशेष के लोगों को निशाना बना रही है। उधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव आरोप लगाते हुए कहते हैं कि क्या बेरोजगारी कम हुई है। किसानों की आय दो गुनी हो गई है? किसानों को गन्ने का भुगतान मिल रहा है? गैस का सिलेंडर सस्ता हो गया है? मॉ गंगा-यमुना कितनी साफ हुई है? न वायदे के अनुसार छात्रों को लैपटॉप या स्कूटी मिली? 

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शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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