एक ओर विपक्षी दल एक मंच पर आकर केन्द्र की भाजपा नेतृत्व वाली राजग यानि एनडीए सरकार को पदच्युत करने के लिए रणनीति बना रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर भाजपा विपक्षी की हर रणनीति को कुंद करने के लिए नए-नए जतन कर रही है। एक ओर महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में विपक्षी दलों के गठबंधन 'इण्डिया' की बैठक चल रही थी, वहीं दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में अप्रत्याशित रुप से संसद का पांच दिन का विशेष सत्र आहूत करने का ऐलान कर दिया गया। इसी बीच यह चर्चा चहं ओर फैल गयी कि सरकार इस विशेष सत्र में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' यानि 'एक देश एक चुनाव' की अपनी पुरानी सोच को अमली जामा पहनाने के लिए बिल लाने जा रही है। अभी इस बात को लेकर कयास लगाये ही जा रहे थे कि सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर विचार के लिए एक कमेटी गठित कर दी। 'एक देश एक चुनाव' के लिए गठित की गई कमेटी से भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव के लिए एक बड़ी सियासी बिसात बिछा दी है। उधर, मुम्बई में चल रही 'इण्डिया' की बैठक में सरकार के इस में हलचल मच गयी। जाहिर है कि भाजपा की ओर से चले गए इस दांव को कोई भी राजनीतिक दल खुलकर खारिज नहीं कर सकता क्योंकि अलग-अलग होने वाले चुनावों से जनता भी सीधे तौर पर प्रभावित होती है। यहां यह भी गौरतलब है कि अगर एक देश एक चुनाव की प्रक्रिया लागू हो गई तो क्षेत्रीय दलों को सियासी तौर पर बड़े संकट का सामना भी करना पड़ सकता है। यही वजह है कि 'एक देश एक चुनाव' की संभावनाओं को तलाशने के लिए बनाई गई कमेटी से देश की सियासत में उबाल आ गया है। वहीं यह भी चर्चा है कि संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार एक और बड़ा दांव खेलने जा रही है और वह है महिला आरक्षण का। प्रधानमंत्री मोदी के इस दांव से उन्हें घेरने में जुटे विपक्षी दलों की पेशानी पर बल पड़ गया है। साफ है कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' ने विपक्षी दलों के गठबंधन 'इण्डिया' को 'टेंशन' में डाल दिया है। वास्तव में यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर जनता आंख बंद करके समर्थन करती है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस मुद्दे को आगे बढ़ाना उनके लिए न सिर्फ बड़ा सियासी दांव है बल्कि आने वाले चुनाव में इसको 'गेम चेंजर' के तौर पर भी देखा जा रहा है।
This story is from the September 2023 edition of DASTAKTIMES.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 2023 edition of DASTAKTIMES.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मूल परंपरा से संवाद जरूरी
संगति में काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थितियों में अपने पूर्वजों से प्राप्त जीवन मूल्यों को झाड़पोछकर अपने समय की आधुनिकता गढ़ रहे थे। ऐसा कार्य सतत् प्रवाही रहता है।
भारत और रूस संबंधों को नई मजबूती
तीसरी बार पीएम पद संभालने के बाद मोदी ने अपने पहले विदेश दौरे के लिए रूस जाने का फैसला किया। गौरतलब है कि जिस वक्त मोदी रूस के दौरे पर थे उस वक्त पश्चिमी देशों के सैन्य गठबंधन, नेटो की बैठक की तैयारी हो रही थी । अमेरिका में होने वाली नेटो की इस बैठक में यूक्रेन के लिए सहयोग और नेटो की उसकी सदस्यता अहम मुद्दा था। जानकार मानते हैं कि मोदी का रूस दौरा पश्चिमी देशों को इशारा है कि वह अपनी रक्षा और अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं कर सकता।
भाजपा का एसटी सीटों पर फोकस
भाजपा ने आगामी चुनाव को लेकर भी अपना एजेंडा तय कर लिया है। पार्टी का मानना है कि भ्रष्टाचार और बांग्लादेशी घुसपैठ दो अहम मुद्दे हैं जिन पर इंडिया गठबंधन को घेरा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि संथाल परगना सहित कई ऐसे इलाके हैं जहां एक समुदाय के वोटरों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही बैठक में प्रदेश भाजपा के सिर्फ नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शीघ्र झारखंड दौरे के संकेत दिए गए हैं वहीं, इसकी भनक राज्य सरकार को भी मिली है।
प्रशांत किशोर का पैंतरा
पीके राजनीतिक सलाहकार के रूप में जाने जाते हैं, हालांकि राजनेता के रूप में जदयू में रहे, लेकिन बहुत दिनों तक नीतीश कुमार के साथ नहीं चल सके। नीतीश ने पीके को जदयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था। तब उनकी पार्टी में नंबर दो की हैसियत थी। बाद में जदयू से किनारे लगा दिए गए। अब वे पूरी तरह से एक राजनेता के रूप में लोगों के सामने आने को तैयार हैं।
खेलों के महाकुम्भ में भारत
भारत ने टोक्यो ओलंपिक में सात पदक जीते ये जो उसका ओलंपिक खेलों में अभी तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और भारतीय खिलाड़ी इसमें सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र सरकार ने भी भारतीय खिलाड़ियों का खूब ध्यान रखा है। पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए उसने करीब पौने पांच अरब रुपये खिलाड़ियों पर खर्च किए हैं। जिस-जिस खिलाड़ी ने देश-विदेश जहां भी ट्रेनिंग की मांग की, उसे वहां भेजा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पेरिस जाने से पहले खिलाड़ियों से बात कर उनका हौसला बढ़ाया। किसी भी तरह से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।
सपा की चुनौती सामने खड़ी बीजेपी या पर्दे के पीछे छिपी कांग्रेस
2027 में सपा-कांग्रेस साथ-साथ रहेंगे यह तो अभी नही कहा जा सकता है, क्योंकि सपा यदि कांग्रेस के साथ चलती है तो इससे सिर्फ कांग्रेस को ही फायदा होता है। इस बात का अहसास अखिलेश यादव को भी होगा, भले ही वह इस संबंध में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोल रहे हैं। बात यहीं तक सीमित नहीं है। दरअसल, राहुल गांधी यूपी में अपने गठबंधन सहयोगी अखिलेश यादव के सामने बड़ी सियासी लाईन खड़ी करना चाहते हैं। यही बात सपा के थिंक टैंक को परेशान कर रही है, लेकिन इस समय अखिलेश का सारा ध्यान भाजपा की ओर लगा है।
जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
उत्तराखंड सरकार ने सूबे में सबसे पहले समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू कर सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया और अब सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) को लागू कर पर्यावरण स्वास्थ्य की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया है।
सीएम धामी के प्रदर्शन से केन्द्रीय नेतृत्व संतुष्ट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी को लागू करने, सतत विकास सूचकांक में पहला स्थान प्राप्त करने, पर्यटन व तीर्थाटन को आर्थिक समृद्धि का आधार बनाने सहित सुशासन पर केन्द्रित मॉडल को प्रस्तुत किया। सीएम धामी ने बताया कि उनकी सरकार अर्थव्यवस्था को दोगुना करने के साथ ही पर्यावरणीय चिंताओं को दर करने में भी क्रांतिकारी कदम उठा रही है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना भी प्राथमिकता में है।
आपदा प्रभावित क्षेत्र में डटे सीएम धामी
पीएम मोदी का मिल रहा पूरा सहयोग
सीएम धामी के मुरीद हुए तीर्थपुरोहित
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी तीर्थपुरोहितों के चहेते बन गए हैं। तीर्थपुरोहितों का मानना है कि सीएम के प्रयास से चारधाम यात्रा व्यवस्था इस बार अब तक ऐतिहासिक रही है। दूसरी ओर हाल ही में दिल्ली की एक संस्था द्वारा केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाने की बात सामने आई तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न केवल इसे लेकर हस्तक्षेप किया बल्कि उन्होंने कैबिनेट में ही नियम लाकर कि देश में कहीं भी चारधाम से मिलते-जुलते ट्रस्ट या मंदिर नहीं बनाए जाएंगे। इस फैसले के बाद तीर्थ पुरोहित सीएम धामी के मुरीद हो गए हैं।