विकास पर कुंडली मार बैठे कई अफसर बजट का सही उपयोग होता तो बदल जाती उत्तराखंड की तस्वीर
DASTAKTIMES|November 2023
योजनाओं को धरातल पर उतारने और बजट के सदुपयोग का समय जैसे ही आता है, विभाग ढीले पड़ने लगते हैं। बजट खर्च के आंकड़े इस सच से पर्दा उठा रहे हैं। आपदा प्रबंधन से हर वर्ष सबसे अधिक प्रभावित होने के बावजूद विभागीय बजट का उपयोग चौकाने वाला है। वर्ष 2022-23 में विभाग को 1366.63 करोड़ खर्च के लिए दिए गए, लेकिन मात्र 833.64 करोड़ का उपयोग हुआ। 532.99 करोड़ की राशि का उपयोग होता तो आपदा से प्रभावितों के पुनर्वास और क्षतिपूर्ति के संवेदनशील प्रकरण निस्तारित हो सकते थे।
गोपाल पोखरियाँ
विकास पर कुंडली मार बैठे कई अफसर बजट का सही उपयोग होता तो बदल जाती उत्तराखंड की तस्वीर

ह बात तो शत-प्रतिशत सही है कि उत्तराखंड तेजी से विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है, लेकिन गति थोड़ी धीमी है। इसमें कहीं न कहीं अफसरशाही का भी बड़ा हाथ है। हर साल प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती वार्षिक बजट के समय पर उपयोग की होती है। उत्तराखंड में अधिकतर दुर्गम भूभाग होने के कारण विकास कार्यों में अधिक लागत आ रही है। ढांचागत विकास के लिए राज्य सरकार के पास स्वयं के वित्तीय संसाधन सीमित हैं। इसलिए केन्द्र सरकार से मिलने वाली सहायता पर उत्तराखंड की निर्भरता अधिक है। इसके बावजूद ब का समुचित उपयोग नहीं होने से राज्य को हानि उठानी पड़ रही है। प्रदेश के विकास का वार्षिक बजट के सदुपयोग से सीधा नाता है। जितना बेहतर तरीके से बजट खर्च होगा, अवस्थापना सुविधाएं उतनी ही तेज गति से वंचित क्षेत्रों तक पहुंचेंगी। इसके साथ ही यह भी सच्चाई है कि राज्य गठन के बाद से ही अब तक बजट खर्च को लेकर विभागों का रवैया संतोषजनक नहीं रहा है। बजट आकार और खर्च के लिए विभागों को स्वीकृत की जा रही बजट राशि में बड़ा अंतर है। बीते कई वर्षों से यह 20 हजार करोड़ या इससे अधिक रहा है। केन्द्र सरकार की मदद के बावजूद उत्तराखंड विकास की राह में तेज गति नहीं पकड़ पा रहा है।

प्रदेश में पेयजल, आवास, सड़कों का जाल समेत ढांचागत सुविधाओं के विस्तार और जन कल्याण के कार्यों का जिम्मा जिन विभागों पर है, वे बजट के शत-प्रतिशत सदुपयोग के मोर्चे पर हाफ रहे हैं। पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में शहरी विकास 1190 करोड़ की बजट राशि खर्च नहीं कर सका। प्रारंभिक शिक्षा में 267 करोड़, माध्यमिक शिक्षा में 429 करोड़ का उपयोग नहीं हुआ। सरकार ने वार्षिक बजट में से विभागों को जितनी राशि स्वीकृत की, उसमें से 5000 करोड़ से अधिक राशि खर्च नहीं की जा सकी। ये तस्वीर उस देवभूमि की है, जिसे अपने सीमित संसाधनों के कारण दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में विकास कार्यों और रहन-सहन की गुणवत्ता से संबंधित सुविधाओं पहुंचाने के लिए केंद्र के दर पर पाई-पाई पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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मूल परंपरा से संवाद जरूरी
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संगति में काल में न कुछ प्राचीन है और न ही आधुनिक। हम मनुष्य ही काल प्राचीनता या नवीनता के विवेचन करते हैं। प्राचीनता ही अपने अद्यतन विस्तार में नवीनता और आधुनिकता है। हम आधुनिक मनुष्य अपने पूर्वजों का ही विस्तार हैं। वे भी अपनी विषम परिस्थितियों में अपने पूर्वजों से प्राप्त जीवन मूल्यों को झाड़पोछकर अपने समय की आधुनिकता गढ़ रहे थे। ऐसा कार्य सतत् प्रवाही रहता है।

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भाजपा का एसटी सीटों पर फोकस
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भाजपा ने आगामी चुनाव को लेकर भी अपना एजेंडा तय कर लिया है। पार्टी का मानना है कि भ्रष्टाचार और बांग्लादेशी घुसपैठ दो अहम मुद्दे हैं जिन पर इंडिया गठबंधन को घेरा जा सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि संथाल परगना सहित कई ऐसे इलाके हैं जहां एक समुदाय के वोटरों की संख्या में बड़ी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही बैठक में प्रदेश भाजपा के सिर्फ नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शीघ्र झारखंड दौरे के संकेत दिए गए हैं वहीं, इसकी भनक राज्य सरकार को भी मिली है।

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खेलों के महाकुम्भ में भारत
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भारत ने टोक्यो ओलंपिक में सात पदक जीते ये जो उसका ओलंपिक खेलों में अभी तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और भारतीय खिलाड़ी इसमें सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्र सरकार ने भी भारतीय खिलाड़ियों का खूब ध्यान रखा है। पेरिस ओलंपिक की तैयारी के लिए उसने करीब पौने पांच अरब रुपये खिलाड़ियों पर खर्च किए हैं। जिस-जिस खिलाड़ी ने देश-विदेश जहां भी ट्रेनिंग की मांग की, उसे वहां भेजा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पेरिस जाने से पहले खिलाड़ियों से बात कर उनका हौसला बढ़ाया। किसी भी तरह से कोई कसर नहीं छोड़ी गई है।

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सपा की चुनौती सामने खड़ी बीजेपी या पर्दे के पीछे छिपी कांग्रेस
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2027 में सपा-कांग्रेस साथ-साथ रहेंगे यह तो अभी नही कहा जा सकता है, क्योंकि सपा यदि कांग्रेस के साथ चलती है तो इससे सिर्फ कांग्रेस को ही फायदा होता है। इस बात का अहसास अखिलेश यादव को भी होगा, भले ही वह इस संबंध में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बोल रहे हैं। बात यहीं तक सीमित नहीं है। दरअसल, राहुल गांधी यूपी में अपने गठबंधन सहयोगी अखिलेश यादव के सामने बड़ी सियासी लाईन खड़ी करना चाहते हैं। यही बात सपा के थिंक टैंक को परेशान कर रही है, लेकिन इस समय अखिलेश का सारा ध्यान भाजपा की ओर लगा है।

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जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड
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सीएम धामी के प्रदर्शन से केन्द्रीय नेतृत्व संतुष्ट
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August 2024
सीएम धामी के मुरीद हुए तीर्थपुरोहित
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