
Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin February 2024 sayısından alınmıştır.
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सरस्वती एक खोई हुई नदी की कहानी
नदी का बदलना संस्कृतियों को बदल देता है। विहंगम इसी बदलाव को समझने की एक छोटी-सी कोशिश है। गंगापथ पर फैली कहानियां एक नदी संस्कृति के बनने की कहानी है। वराह का आंदोलन, सरस्वती तट के विस्थापितों के पदचिह्न और अक्षय वट की गवाही, कुंभ और सनातन के विराट होते जाने की कहानी है। इन कहानियों में गंगा के साथ बहती उसकी नहरें भी हैं, जिनका अपना समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र है। अभय मिश्र की यह नई पुस्तक नदी के भूगोल को देखने और इस भूगोल के सांस्कृतिक इतिहास की गलियों से गुज़रने का एक प्रयास है। प्रस्तुत है इस पुस्तक का एक अंश।

भारत की फंडिंग रोक कर ट्रंप का नया ड्रामा
पीएम नरेन्द्र मोदी के अमेरिकी दौरे से लौटने के बाद से ही ट्रंप रोना रो रहे हैं कि अमेरिका ने भारत के चुनावों में मतदान बढ़ाने यानी 'वोटर टर्न आउट' के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च कर दिए। इस खुलासे ने देश में राजनीतिक वाद-विवाद शुरू कर दिया है।

चुनावी मशीनरी की ओवरहालिंग जीत का मंत्र
लोकसभा चुनाव के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी को बेशक एक सदमा लगा था। 400 पार के जुमले का विपक्ष ने मजाक उड़ाया। आत्ममंथन से पता चला कि जमीनी समर्थकों और कार्यकर्ताओं के मजबूत नेटवर्क में कहीं कोई लीकेज रह गई हो लेकिन वक्त रहते बीजेपी सचेत हो गई। नतीजा हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली आज उसकी जेब में हैं। बीजेपी ने अपनी चुनावी मशीनरी के कील-काटें कैसे दुरस्त किए,

ट्रंप, ईरान का चाबहार बंदरगाह और भारत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नज़र ईरान के चाबहार बंदरगाह पर पड़ चुकी है।

लठैत कक्का के कुंवारे गाल....
ल 'म्पटगंज गांव के लठैत कक्का ऐसे शख्स थे जिनके गाल निपट कुंवारे थे। होली के जाने कितने त्योहार आये और गए, मजाल कि मुई रंग की एक लकीर भी उनके गालों पर किसी ने खींची हो। अगर कोई कोशिश भी करता तो वह उसके माथे पर चिंता की लकीरें ज़रूर खींच देते थे। ऐसा माना जाता था कि इलाके में कोई रणबांकुरा पैदा ही नहीं हुआ जो उनको रंगनशी कर सके। कारण यह था कि एक तो वह पुराने जमाने के पहलवान रहे, ऊपर से 6 फिट का मोटा लट्ठ लेकर चलते थे। वह लट्ठ को 360 डिग्री पर भांजना भी जानते थे। अब कौन उनको लाल करने के चक्कर में अपनी खोपड़ी रंगवाये। लठैत कक्का रंगों से इतनी नफरत करते थे कि अगर कहीं रंग बरसे भीगे चुनरवाली बजता तो वह लट्ठ बजाने लगते...।

भारतीय लोककथाओं को सिल्वर स्क्रीन पर लाएंगी आरुषि निशंक
आज के दौर में जब पुष्पा 2, तुम्बाड़ और विभिन्न क्षेत्रीय फिल्में अपनी गहरी जड़ों से जुड़ी कहानियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रही हैं, ऐसे में आरुषि निशंक एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता के रूप में उभर रही हैं।

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट दुश्मन जो मांगते हैं सुलह की दुआ
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम पर खेले गए भारत बनाम पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी के पहले मैच का सारा रोमांच नदारद था।

फक्कड़ कवि थे निराला !
गुराला हिन्दी के उन चंद कवियों में हैं, जिनकी लोकप्रियता व फक्कड़पन को कम ही लोग छू पाये हैं।

चुनाव तक किस करवट बैठेगा नीतीश का ऊंट
इस साल बिहार में विधानसभा का चुनाव होने वाले हैं और सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी दलों के लिए जरूरी हैं। लालू चाहते हैं कि नीतीश भाजपा का साथ छोड़कर उनकी तरफ आ जाएं, जबकि भाजपा यह अच्छी तरह समझती है कि वह अकेले दम पर राज्य में जीत हासिल कर अभी सरकार बनाने की हालत में नहीं है।

इस बार नए अंदाज़, नए तेवर में हेमंत सोरेन
झारखंड में सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद सीएम हेमंत सोरेन के अंदाज़ और तेवर दोनों बदल गये हैं।