सियासत के अखाड़े में क्षत्रिय
DASTAKTIMES|May 2024
देश में इन दिनों 18वीं लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया जारी है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने में लगे हैं। कोई अपनी जाति-बिरादरी के नाम पर वोट मांग रहा है तो कोई धर्म और क्षेत्र के नाम पर। इस बार के चुनावों राजपूत यानि क्षत्रिय बिरादरी को लेकर खासी चर्चा हो रही है। दरअसल, भाजपा के ही एक नेता ने राजपूतों को लेकर एक विवादित बयान दे दिया जिसके बाद से राजपूतों में नाराजगी का उबाल साफ देखा जा सकता है।
दीप्ति सिंह
सियासत के अखाड़े में क्षत्रिय

दशकों से भाजपा का कोर वोटर समझे जाने वाले राजपूत समाज की नाराजगी की खबरें प्रमुखता के साथ सामने आ रही हैं। हालांकि 2014 में नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा की जीत ने जाति के बंधनों को काफी हद तक तोड़ा था।, परंतु भाजपाई माने जाने वाले राजपूतों की इस बार भाजपा से बेरुखी ने सभी को चौंका दिया है। टिकट वितरण में राजपूतों की अनदेखी को लेकर भाजपा से किनारा करने के तमाम वीडियो और खबरें सामने आई हैं। कई जगह बाकायदा सभा बुलाकर वोटिंग के बहिष्कार की बात हुई तो कई जगह 'जो भाजपा को हराएगा, वोट उसको जाएगा' के नारे लगे। आम तौर पर अभी तक देखा जाता रहा है कि चुनाव में जाति के मुद्दे पर दलित, ओबीसी जैसी जातियां गोलबंद होकर हावी रहा करती थीं। ब्राह्मण, बनियों की भी बात होती रहती थी, पर राजपूत समाज किसको वोट दे रहा है, किससे नाराज है, इस पर चर्चा एक नया विषय है। राजपूत राजनीति में विरोध के स्वर गुजरात से शुरू हुए, फिर राजपूत बाहुल्य राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से एक के बाद एक खबरें आने लगीं। 

राजपूत समाज की नाराजगी का कारण सम्राट मिहिरभोज को गुर्जर बताए जाने पर भी रही। देशभर की जातियों में अपने को राजपूत और ब्राह्मण बताए जाने की प्रवृत्ति रही है। अगर गुर्जर समाज मिहिरभोज को गुर्जर मानता है तो उसे कैसे रोका जा सकता है। इस पूरे प्रकरण से ठाकुर समाज में कैराना से भाजपा सांसद और वर्तमान में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार प्रदीप चौधरी की भूमिका से काफी नाराजगी है। राजपूत नेताओं का मानना है कि पिछले वर्ष प्रदीप चौधरी और मेरठ से सपा विधायक अतुल प्रधान के उकसाने पर ही सहारनपुर से 'मिहिर भोज प्रतिहार गौरव यात्रा' निकाली गई थी। इसके बाद से ठाकुर समुदाय प्रदीप चौधरी का विरोध कर रहा है। राजपूत समाज की यह भी मांग है कि सरकार द्वारा ईडब्ल्यूएस श्रेणी में जो 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, उसे बढ़ाकर कम से कम 14 प्रतिशत किया जाना चाहिए। हालांकि चुनावों के तीसरे चरण के मतदान होने तक भाजपा ने ठाकुर क्षत्रपों को काफी हद तक मैनेज कर लिया किन्तु आम क्षत्रिय मतदाताओं में अभी भी नाराजगी महसूस की जा सकती है।

यूपी में राजपूतों की नाराजगी के मायने

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बेगम स्वरा का नया लुक चर्चा में
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भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।

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संकट में पाकिस्तानी शिया
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2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।

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डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
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आज के युग में मोबाइल या लैपटॉप आम आदमी के जीवन में काफी प्रसांगिक ये हैं। लेकिन डिजिटल विकास तमाम खूबियां के साथ कुछ खामियां भी लाया है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, लेकिन इस शख्स की सोच के बारे में कोई डिवाइस नहीं बता सकती है कि वह किस श्रेणी का इंसान है। यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है।

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शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि
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शीतकालीन चारधाम यात्रा में भी गुलजार होगी देवभूमि

शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस

बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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प्रदूषण से सांसत में जान
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दिल्ली राजधानी क्षेत्र में आजकल हवा में पीएम 10 का स्तर 318 और पीएम 2.5 का स्तर 177 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा है जिसके फिलहाल कम होने की उम्मीद बेमानी है। जबकि स्वास्थ्य की दृष्टि से पीएम 10 का स्तर 100 से कम और पीएम 2.5 का स्तर 60 से कम ही उचित माना जाता है। खतरनाक स्थिति यह है कि दिल्ली के आसमान पर अब धुंध की परत साफ दिखाई दे रही है।

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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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