एक शुद्ध एनआरसी के सपने को हकीकत में बदल पाएंगे मोदी!
DASTAKTIMES|July 2024
विडंबना यह है कि असम आज भी विदेशियों का चारागाह बना हुआ है। स्थानीय मूल निवासियों की अस्मिता को चुनौती देती घुसपैठ की समस्या से लंबे समय से त्रस्त यह प्रदेश खासकर बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या से कब निजात पाएगा, यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की पहल भी हुई पर नतीजा कुछ नहीं निकला।
संजीव कलिता
एक शुद्ध एनआरसी के सपने को हकीकत में बदल पाएंगे मोदी!

असम तथा पूर्वोत्तर को अष्टलक्ष्मी का देश मानने वाले नरेंद्र मोदी जबसे देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से पूर्वोत्तर का यह क्षेत्र विकास की नई राह पर चल पड़ा है। यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि मोदी असम तथा पूर्वोत्तर को अब तक सर्वोच्च प्राथमिकता देते रहे हैं। केंद्र और असम में भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार के शासन में हुए विकास के कारण असम तथा पूर्वोत्तर का चेहरा बदल रहा है और आने वाले दिनों में काफी बदलाव आने की पूरी संभावना है। विडंबना यह है कि असम आज भी विदेशियों का चारागाह बना हुआ है। स्थानीय मूल निवासियों की अस्मिता को चुनौती देती घुसपैठ की समस्या से लंबे समय से त्रस्त यह प्रदेश खासकर बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या से कब निजात पाएगा, यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है। राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की पहल भी हुई पर नतीजा कुछ नहीं निकला। एनआरसी के नाम पर करोड़ों खर्च हुए पर इसका जो नतीजा सामने आया, उससे राज्य के स्थायी मूल निवासी नाखुश 'हैं। सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में असम की एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया में तमाम गड़बड़ियां सामने आईं। और एनआरसी की सूची रद्दी कागज के बराबर निकली। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या 260 करोड़ रुपए के कथित घोटाले को अंजाम देने के लिए ही एनआरसी अद्यतन की प्रकिया को लागू किया गया था ! एनआरसी के पूर्व राज्य समन्वयक तथा रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हितेश देवशर्मा ने इस पूरे प्रकरण पर हुई धांधली और फर्जीवाड़े पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी का हस्तक्षेप मांगा है।

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भारतीय गणतंत्र अमर है लेकिन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है। न्यायपालिका संविधान की जिम्मेदार संरक्षक है। न्यायपीठ ने प्रशंसनीय फैसले किए हैं। अदालतों में लंबित लाखों मुकदमे 'न्याय में देरी से अन्याय के सिद्धांत' की गिरफ्त में हैं। अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य देता है। अनुच्छेद 20 अन्य बातों के अलावा, 'किसी अपराध के लिए किसी व्यक्ति को अपने ही विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य करने से रोकता' है।

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2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में आबादी 7.85 लाख है। इसमें 99 फीसदी पश्तून हैं। पश्तून आबादी में तुरी, बंगरा, जैमुश्त, मंगल, मुकबल, मसुजाई और परचमकानी जनजातियां हैं। तुरी और कुछ बंगश शिया हैं बाकी सब सुन्नी हैं। कुर्रम जिले में 45 प्रतिशत आबादी शिया समुदाय की है जबकि पूरे पाकिस्तान में इस समुदाय की आबादी करीब 15 फीसद है।

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December 2024
डिजिटल अरेस्ट डर के आगे हार!
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शीतकाल के छह महीने भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले में स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बाबा केदार की पूजा रुद्रप्रयाग जिले में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ और मां गंगा व देवी यमुना की पूजा क्रमशः उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमट) और यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

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कैसे अमेरिकी जासूसों की चीफ बनी - प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस
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बहुत जल्द अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों की कमान नवनियुक्त निदेशक तुलसी गबाई के हाथ में होगी। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी का आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से पुराना रिश्ता रहा है। संघ परिवार से जुड़े भारतीय मूल के अमेरिकी हिंदू नागरिक उनके लिए हर चुनाव में लाखों डालर का चंदा जुटाते हैं। आरएसएस के इसी दुलार के कारण अमेरिका में तुलसी 'प्रिंसेज ऑफ द आरएसएस' के नाम से चर्चित हैं। पहले तुलसी का डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ना फिर अचानक डोनाल्ड ट्रम्प को समर्थन देना और फिर रिपब्लिकन पार्टी का दामन थामकर इस मुकाम तक पहुंचना हॉलीबुड के किसी हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे से कम नहीं। भारतीय मामलों में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की बेवजह 'अति सक्रिय' होने के बाद अचानक खुफिया एजेंसियों की कमान तुलसी गबार्ड को दिए जाने को भारत के कूटनीतिक दांव के रूप में देखा जा रहा है।

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December 2024
प्रदूषण से सांसत में जान
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पीके अपनी पार्टी की रणनीति में हुए फेल
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पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने जनसुराज पार्टी बनाने के करीब 40 दिन बाद अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। प्रत्याशियों का चयन बहुत सोच-समझ किया गया। पीके की ओर से जीत के दावे भी थे, लेकिन वह परिणाम के रूप में सामने नहीं आ सके। हालांकि, पीके इस बात से थोड़े खुश जरूर होंगे कि तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।

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