दरअसल कतर की तरफ से फीफा की मेजबानी को लेकर पूरी दुनिया में विवाद भी छिड़ा हुआ है और सभी यह मान रहे है कि कतर ने पैसे के दम पर मेजबानी हासिल की. लेकिन सवाल यह है कि वह कौन सी वजह है, जिसके लिए कतर इतना बड़ा आयोजन करवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए राजी था. अब पता चल रहा है कि वह वजह थी इस्लाम के प्रचार का तगडा प्लेटफार्म तैयार करना. कई जानकार तो ऐसा ही मानते हैं. कतर सरकार का फीफा के आयोजन के समय जाकिर नाईक को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाना से परे है. उसका कतर में होना ठोस संकेत है कि वह वहां पर फीफा कप के मैच देखने के लिए आए फुटबॉल प्रेमियों के बीच इस्लाम का प्रचार करने के लिये ही आया है या यूं कहें कि बुलाया गया है. जाकिर नाईक अपनी सभाओं में गैर- मुसलमानों से खुलकर कहता है कि वे इस्लाम वे धर्म अपना लें.
दरअसल कतर फीफा विश्व कप का आयोजन करने के बहाने अपने को दुनिया का सबसे मुखर इस्लामिक देश साबित करना चाहता है. उसे पता है कि फीफा कप को दुनिया के कोने-कोने में देखा जाता है. इसलिए यह एक बेहतर मौका है, फीफा के बहाने इस्लाम के प्रवक्ता बनने का. उसने फीफा कप से पहले बीयर कंपनी बडवाइजर के लिए एक बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी. उसने फीफा कप के दौरान बीयर की सेल पर रोक लगा दी. इसके चलते बडवाइजर को भारी नुकसान हुआ. कतर ने अपने वादे से पलटते हुए फीफा कप की शुरुआत से पहले स्टेडियम में बीयर की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है. यह बीयर कंपनी के साथ-साथ फुटबॉल फैंस के लिए भी निराश करने वाली खबर है. कतर में शराब की सेल होती है. कतर सरकार ने स्टेडियमों के भीतर बीयर की सेल पर रोक लगाकर अपने को एक बड़ा इस्लामिक देश के रूप में पेश करने की कोशिश की है.
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