जीत का जज्बा न होना ले डूबा भारतीय हॉकी को
Gambhir Samachar|February 01, 2023
देश के करोड़ों हॉकी चाहने वालों का सपना तार-तार हो गया. सबको उम्मीद थी कि 1975 के बाद भारत फिर से हॉकी वर्ल्ड कप को जीतने में कामयाब हो जाएगा. पर यह हो न सका. ओडिशा में खेले जा रहे हॉकी वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड ने पेनाल्टी शूट आउट में भारत को हराकर क्वार्टर फ़ाइनल में जगह बना ली और भारत खिताबी दौड़ से बाहर हो गया.
आर. के. सिन्हा
जीत का जज्बा न होना ले डूबा भारतीय हॉकी को

रअसल टोक्यो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम से आशा की किरण इसलिए नजर आ रही थी, क्यों उसका पिछले ओलंपिक खेलों में सराहनीय प्रदर्शन रहा था. कहना होगा कि भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीमों ने टोक्यों ओलंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन किया था. भारत के हॉकी प्रेमियों को एक लंबे अंतराल के बाद इतना शानदार प्रदर्शन देखने को मिला था अपने खिलाड़ियों से पर चालू वर्ल्ड कप में हमारी हॉकी टीम का खेल बेहद औसत दर्जे का रहा.

यह समझ में नहीं आता कि किस आधार पर और किस समय से ओलम्पिक में कांस्य पदक जितने वाले टीम से पांच-छह खिलाडियों को टीम से बाहर कर दिया गया? कहीं इसमें भ्रष्टाचार का प्रदर्शन तो नहीं हुआ? अगर नहीं तो ओलंपिक जीतने वाली टीम के लगभग आधे खिलाडियों को बाहर करने की वजह क्या थी.

इस वर्ल्ड कप के शुरू होने से पहले 1975 में अंतिम बार वर्ल्ड चैंपियन बनी भारतीय टीम के गोल कीपर अशोक दीवान ने राउरकेला रवाना होने से पहले कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि हम चैंपियन बनेंगे. उनके साथ दादा ध्यानचंद के पुत्र और 1975 के वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में पाकिस्तान पर विजयी गोल दागने वाले अशोक कुमार भी थे. पर उम्मीदें और प्रार्थनाएं काम नहीं आईं. काम कैसे आतीं. हमने कतई स्तरीय खेल नहीं खेला.

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