मरीजों की जान बचाने वाला एक डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग के कुचक्र में फंस गया था. कानपुर के घाटमपुर के मूल निवासी डॉ. दीपेंद्र सिंह की तैनाती 11 वर्ष पहले चित्रकूट के संयुक्त जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर हुई थी. चित्रकूट में तैनाती के दौरान डॉ. दीपेंद्र को लिवर संक्रमण की गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया. पांच साल से डॉ. दीपेंद्र प्रयागराज में अपना तबादला करवाने के लिए प्रयासरत थे ताकि उनका ठीक से इलाज हो सके और वे परिवार के साथ भी रह सकें. स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की दर पर अर्जी लगाते-लगाते फाइल मोटी होती गई लेकिन अफसर नहीं पसीजे. अंततः बीमारी से जूझते हुए 17 जून को डॉ. दीपेंद्र की मौत हो गई. 30 जून को प्रयागराज के अल्लापुर आवास पर उनकी तेरहवीं संपन्न हुई. उसके दूसरे दिन पहली जुलाई को प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडलीय (काल्विन) अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता सर्जन के पद पर डॉ. दीपेंद्र का तबादला आदेश जारी हुआ तो सभी स्तब्ध रह गए. डॉ. दीपेंद्र के परिवार पर यह सरकारी वज्रपात जैसा था.
This story is from the August 03, 2022 edition of India Today Hindi.
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लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई