उन्होंने किसी को कतई संदेह में नहीं डाला कि उनका मतलब क्या है: यह कि उन्हें अपने विधायकों को तोड़ने की साजिश की गंध लग गई और उसी के जवाब में उन्होंने यह कदम उठाया. उन्होंने इसे मास्टरस्ट्रोक बताया, पर उनके विधायकों के राज्य से बाहर जाने से उस खबर को बल मिल गया कि झारखंड में सत्तारूढ़ झामुमो- कांग्रेस- राजद गठबंधन अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है. कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ की उड़ान दिखाती है। कि घबराहट कितनी ज्यादा है, जहां विधायकों को विपक्षी भाजपा के दलबदल कराने के ऑपरेशन से सुरक्षित रहने की उम्मीद की जाती है. यह उम्मीद बेमानी भी नहीं है. 25 अगस्त को जब यह खबर आई कि भारतीय चुनाव आयोग ने सोरेन को बतौर विधायक अयोग्य ठहराने की सिफारिश की है, झारखंड उन राज्यों की फेहरिस्त में शुमार होने के कगार पर पहुंच गया, जहां भाजपा अपने विरोधियों की सरकारों को गिराने में कामयाब हो गई है. सोरेन के लिए बदनसीबी लाने वाला यह मामला बेहद मामूली है. यह 2008 में रांची जिले के अंगारा ब्लॉक में खरीदी गई 0.88 एकड़ गैर-कृषि भूमि है. उनकी सरकार ने मई, 2021 में इस जमीन पर खनन पट्टा आवंटित किया, ग्राम सभा से महीने भर में मंजूरी मिल गई और सितंबर में पर्यावरण मंजूरी भी मिल गई. मुख्यमंत्री के ही जिम्मे खनन और पर्यावरण विभाग भी है, इसलिए संबंधित कार्रवाइयां 1955 के जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन थीं. कानून की धारा 9ए में निर्वाचित प्रतिनिधियों को सरकार से 'माल की आपूर्ति' के करार या 'उसके तहत कोई काम करने' की मनाही है. भाजपा ने यह मामला उठाया तो सोरेन ने इस फरवरी में पट्टा वापस सौंप दिया और दलील दी कि लाइसेंस का पुनर्नवीनीकरण किया गया, ताजा आवंटन नहीं था और जमीन में कभी खदान नहीं खोदी गई. पर मामला प्रतीकात्मक था और सबसे बढ़कर कानूनी और नुक्सान करने वाला था.
This story is from the September 14, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the September 14, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
आइसीई युग के बाद ईवी युग
भारत के ऑटो उद्योग के लिए 2025 निर्णायक मोड़ होगा, जब इलेक्ट्रिक वाहन तेजी से बढ़कर मुख्यधारा में आ जाएंगे और शीर्ष खिलाड़ियों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी
डिजायर का नया धमाका
चौथी पीढ़ी की डिजायर ने हाल ही में दस्तक दी है और यह कॉम्पैक्ट सेडान स्पेस में तूफानी रफ्तार से दबदबा कायम कर सकती है. हमने गोवा में इसे चलाया, जानिए हमारे तजुर्बे
तीसरी पीढ़ी की होंडा अमेज 8 लाख रुपए से शुरू
होंडा ने तीसरी पीढ़ी की अमेज लॉन्च की है, जिसकी कीमत 8 लाख रुपए से लेकर 10.9 लाख रुपए (एक्स-शोरूम) तक है.
महिंद्रा ने बीई6 और एक्सईवी 9ई से सबका ध्यान खींचा
महिंद्रा ने भारतीय बाजार में अपनी पहली दो इलेक्ट्रिक ओरिजिन एसयूवी लॉन्च की हैं, जिनके नाम बीई6 और एक्सईवी 9ई हैं.
आवाज अपने वक्त की
लेखक अमिताभ घोष अपने नए गद्य संग्रह वाइल्ड फिक्शन में लेकर आए पिछले 25 साल में लिखे चुनिंदा निबंध
हिमालय में नया शाहकार
मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में ऊंचे ग्लेशियरों से ढके पहाड़ों में सर्दियों का सन्नाटा केवल बर्फीली हवाओं के झोंकों से ही टूटता है, ऐसे दुर्गम इलाके में सफर आसान करने के लिए बनाया गया रास्ता एक शानदार भविष्य की बुनियाद रखने वाला है.
नए सिरे से नवीन की ललकार
बीजू जनता दल सुप्रीमो अपने ही साये से बाहर निकलकर अब एक नए अवतार में सामने आए. अब वे अपने में ही खोए रहने वाले निस्संग राजनेता न रहकर एक आक्रामक विपक्षी ताकत के रूप में पार्टी में जान फूंकने के साथ जनाधार भी बढ़ा रहे
नए-नवेले वाहनों का कुंभ
बाजार में आने वाली नई कारों और बाइकों के प्रदर्शन के साथ भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्स्पो 2025 में देश के ऑटोमोटिव उद्योग की दशा-दिशा तय करेगा
इतने हाइटेक हुए नकलची
जनवरी की 5 तारीख को राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड (एनएससी) की 186 रिक्तियों की भर्ती परीक्षा आयोजित करने के लिए अपनाई गई ऑफलाइन प्रणाली को अचूक माना जा रहा था. पर वह भी रिमोट एक्सेस सॉफ्वेयर की मदद से आसानी से सेंध लग जाने वाली साबित हुई.
लूट-लपेटकर फुर्र होतीं दुलहनें
मरु प्रदेश में बिगड़ते लिंगानुपात का फायदा उठाने उतर पड़े लुटेरी दुलहनों और उनके दलालों के बड़े गिरोह. एक-एक 'दुलहन' 30-30 तक 'शादियां' रचा रहीं. सीमावर्ती इलाकों में ऐसे ब्याह से सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े