स्पेक्ट्रम की इस तरह की दार्शनिक व्याख्या करने वाले इंडियन टेलीकम्युनिकेशन बिल, 2022 के ड्राफ्ट में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो दूरसंचार क्षेत्र में बड़े बदलाव ला सकते हैं. 1999 में जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार "रोटी, कपड़ा, मकान और टेलीफोन" थीम पर आधारित नई टेलीकॉम नीति लेकर आई, तब से लेकर अब तक के 23 साल के सफर में भारत 1.17 अरब यूजर्स के साथ चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम मार्केट बन गया है. नई प्रस्तावित नीति भारत के टेलीकॉम सेक्टर के विकास को गति देने का वादा करती है.
नई नीति के ड्राफ्ट में लिखा गया है। कि ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर और यूरोपीय संघ के कानूनों का अध्ययन करके इन देशों के टक्कर की नीति तैयार की गई है. नई दूरसंचार नीति में ओटीटी (ओवर द टॉप) कंपनियों को दो हिस्सों में बांटा गया है. एक तरफ वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाएं देने वाली नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम और हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म हैं. इनका रेगुलेशन सूचना और प्रसारण मंत्रालय करता है. वहीं ओटीटी कंपनियों की दूसरी श्रेणी में मैसेज, वॉयस और वीडियो कॉलिंग सेवा देने वाली व्हॉट्सऐप, टेलीग्राम, जूम, सिग्नल जैसी कंपनियां होंगी. इनका रेगुलेशन दूरसंचार मंत्रालय करेगा.
नई नीति में यूजर्स के अधिकार और राष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क देकर मैसेजिंग और कॉलिंग सेवा देने वाली ओटीटी कंपनियों को रेगुलेशन के दायरे में लाने की बात कही गई है. यह इस नीति का सबसे विवादित प्रावधान माना जा रहा है. अब ये सेवाएं देने के लिए कंपनियों को नई नीति लागू होने के बाद सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा. अब तक एन्क्रिप्शन का हवाला देकर ये कंपनियां यह दावा करती आई हैं कि उन्हें भी नहीं पता होता कि दो यूजर्स के बीच किस तरह के मैसेज या कॉल का आदान-प्रदान हो रहा है. इनके रेगुलेशन की बात सामने आने से सरकार और इन कंपनियों के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैं. हालांकि, इस विषय पर केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव कहते हैं, "आज तकनीक की वजह से वॉयस कॉल और डेटा कॉल का फर्क खत्म हो गया है. इसलिए कॉलिंग के सारे प्लेटफॉर्म को एक ही रेगुलेशन फ्रेमवर्क के तहत लाना चाहिए."
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