भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दीवाली के ठीक पहले हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में अपने पैतृक गांव विजयपुर पहुंचे जरूर लेकिन धूमधाम से त्योहार मनाना उनकी पहली प्राथमिकता बिल्कुल नहीं रह गया था. 12 नवंबर को विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में उनके सामने सबसे जरूरी काम था टिकट वितरण से असंतुष्ट नेताओं को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ बैठकर कोई रास्ता निकालना. हिमाचल में 1985 के बाद से कोई भी मुख्यमंत्री वापस सत्ता में नहीं लौटा. इस तथ्य के मद्देनजर सत्ताविरोधी लहर को मात देने की रणनीति के तहत भाजपा ने दो मंत्रियों सहित 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए. कुल 23 नए चेहरों को मैदान में उतारे जाने से पार्टी के कुछ नेताओं ने बागी तेवर अपना लिए. बागियों ने 14 सीटों पर पर्चा भरा है और भाजपा का अपना आकलन है कि इस विद्रोह से पांच-छह निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी को नुक्सान हो सकता है.
मसलन, बंजार में भाजपा प्रत्याशी सुरेंद्र शौरी को निर्दलीय प्रत्याशी कुल्लू के पूर्व शाही परिवार के वंशज हितेश्वर सिंह और कांग्रेस उम्मीदवार खिमी राम शर्मा से मुकाबला करना होगा. शर्मा भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख हैं. बीती जुलाई में ही वे कांग्रेस में चले गए थे. निर्दलीय हितेश्वर के पिता महेश्वर सिंह को भाजपा ने कुल्लू सीट से उम्मीदवार बनाया है. चुनाव प्रचार में लगने से पहले अपने घर की व्यवस्था ठीक करने के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर कुल्लू और आंतरिक असंतोष से सबसे अधिक प्रभावित अपने गृहनगर मंडी के बीच चक्कर लगा रहे हैं. नड्डा को भी अपने करीबियों के बीच मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके बेहद करीबी और बिलासपुर के विधायक सुरेश ठाकुर को उनके ही एक दूसरे विश्वासपात्र त्रिलोक जामवाल के लिए जगह छोड़नी पड़ी है.
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