जम्मू-कश्मीर
इस साल बंपर फसल हुई है और किसान उसे तोड़ने में मसरूफ हैं. जम्मू-कश्मीर के बागवानी महकमे और किसानों का भी दावा है कि इस बार सेब की पैदावार ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है. लेकिन किसान अपनी मेहनत के फल का पूरा फायदा न उठा सकेंगे. 10,000 करोड़ रुपए का बागवानी क्षेत्र कई समस्याओं से घिरा है, जिसमें सप्लाइ चेन में आ रहीं रुकावटें, महंगाई, कोल्ड स्टोरेज और कामगारों की कमी के साथ ईरानी सेब का आयात भी शामिल है. सेब की खेती में सीधे तौर पर 7,00,000 परिवार और परोक्ष रूप से यही कोई 35 लाख परिवार जुड़े हैं, यह कश्मीर की स्थानीय अर्थव्यवस्था में अहम रोल अदा करता है.
घाटी में सेब की टोकरी कहे जाने वाले दक्षिण कश्मीर के शोपियां के सेब किसान मुश्ताक अहमद मलिक कामगारों की कमी और ढुलाई में देरी जैसी दोहरी मार झेल रहे हैं. मलिक के पास उनके गांव पन्नू में 40 कनाल का बाग है लेकिन उन्हें सेब तोड़ने, छांटने और पैक करने के लिए 10 मजदूरों को रोज 10,000 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है. लगभग 1,000 पेड़ों से मलिक सेब के 4,000 बक्से (17 किलो प्रत्येक) तैयार कर लेते हैं. इस साल फसल में 150 फीसद की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है. हालांकि वे इससे उत्साहित नहीं हैं. वे कहते हैं, "फिलहाल एक युद्ध जैसी स्थिति दिखती है. मजदूरों और पैकेजिंग सामग्री आदि के लिए मारामारी है. कीमतें आसमान छू रही हैं पर मुनाफा उम्मीद के मुताबिक नहीं है." इस महीने की शुरुआत में उनकी दो खेप दिल्ली में औने-पौने दामों पर बिकीं.
This story is from the November 16, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the November 16, 2022 edition of India Today Hindi.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.