सोने की तस्करी फिर चोखा धंधा बन रही है. 13 नवंबर को मुंबई हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने 32 करोड़ रुपए कीमत वाले 61 किलो सोने की दो खेपें जब्त कीं जो एक दिन में हुई सोने की सबसे बड़ी बरामदगी थी. पहली खेप में तंजानिया से आए चार भारतीयों को 53 किलो गोल्ड बार ले जाते हुए पकड़ा गया था. उन्होंने यह सोना कमर बेल्ट में विशेष रूप से डिजाइन की गई जेबों में छिपाकर रखा था. संदिग्धों ने दावा किया कि एक अज्ञात सूडानी ने दोहा हवाई अड्डे पर ट्रांजिट के दौरान उन्हें बेल्ट से बंधे ये यूएई निर्मित गोल्ड बार दिए थे. जब्त की गई दूसरी खेप में दुबई से आए एक पुरुष और दो महिला मुसाफिरों के पास से 3.88 करोड़ रुपए कीमत का आठ किलो सोना मिला. उन लोगों ने जो जींस पहन रखी थी उसके कमर वाले हिस्से में मोम के बीच सोने को पाउडर के रूप में छुपाया गया था. आरोपी महिलाओं में से एक 60 साल की है जो व्हीलचेयर पर चलती है.
पिछले एक दशक में देश के भीतर अवैध रूप से सोना लाने की घटनाओं में लगातार उछाल देखा गया है. 2012 में भारत ने सोने के मुक्त आयात की दो दशक पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर दिया. नतीजा यह हुआ कि फिर वैसे ही हालात नजर आने लगे जो सोने के आयात पर नियंत्रण के दौर में देखे जाते थे. सोने पर आयात शुल्क दो प्रतिशत बढ़ा दिया गया और इस जुलाई में यह और बढ़कर 15 प्रतिशत (जीएसटी समेत 18.4 प्रतिशत) हो गया. शुल्क में हर बढ़ोतरी के साथ सोने की तस्करी और आकर्षक हो जाती है क्योंकि कीमत लगातार बढ़ रही होती है. 2012 में 24 कैरेट सोने की कीमत 28,067 रुपए प्रति 10 ग्राम थी, जो 2020 में लगभग दोगुनी होकर 59,000 रुपए हो गई और फिलहाल 54,000 रुपए पर है. 2003-04 में भारत को दुनिया में सोने की व्यापारिक राजधानी बनाने और सोने की तस्करी को हतोत्साहित करने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने सीमा शुल्क को 250 रुपए प्रति 10 ग्राम से घटाकर 100 रुपए कर दिया था, जो 200809 तक जारी रहा.
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