दिल्ली अभी दूर है
India Today Hindi|February 08, 2023
भारत जोड़ो यात्रा ने मरणासन्न कांग्रेस को नया मकसद दिया, पर लोग अब भी उसे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के चुनावी विकल्प के तौर पर नहीं देख रहे. यहां तक कि एक राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन भी अभी दूर ही दिख रहा है
कौशिक डेका
दिल्ली अभी दूर है

राजनीति में छह महीने का वक्त काफी लंबा होता है. अगस्त 2022 में जब पिछला इंडिया टुडे मूड ऑफ द नेशन (एमओटीएन) या देश का मिजाज सर्वे किया गया था, कांग्रेस बेतरतीब हालत में थी. वह पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर की चुनावी हार से चकराई हुई थी. नेतृत्व का संकट अभी हल नहीं हुआ था. सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष थीं, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बावजूद बेटे राहुल गांधी हकीकत में पार्टी के प्रमुख बने हुए थे. पार्टी थे. पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर आत्मनिरीक्षण करने के लिए मई 2022 में उदयपुर में हुए ‘चिंतन शिविर’ ने नया कांग्रेस अध्यक्ष खोजने के लिए चुनाव करवाने का फैसला किया था. मगर कयास लगाए जा रहे थे कि राहुल या उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी उम्मीदवारी पेश करके अध्यक्ष पद के चुनाव को बेमतलब बना देंगे. कहा जा रहा था कि पार्टी देश भर में जबरदस्त पदयात्रा निकालेगी, पर यह साफ नहीं था कि उसकी बनावट या रास्ता क्या होगा. कुल मिलाकर भारत के राजनैतिक परिदृश्य पर कांग्रेस के काम करने के तौर-तरीकों में बदलाव की कोई उम्मीद कम ही दिखाई देती थी.

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