
कर्नाटक में चुनाव प्रचार की आखिरी, निर्णायक और गहमा-गहमी भरी दौड़ में दो अहम कारकों की कड़ी अग्निपरीक्षा होगी. पहला है शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं की ताबड़तोड़ रैलियों की झड़ी, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के हमले की अगुआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. दूसरा है मुफ्त सौगातों, रेवड़ियों और वादों का अंबार, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने चुनाव घोषणापत्रों को पाट दिया है.
महज 29 अप्रैल से शुरू सप्ताहांत में प्रधानमंत्री ने राज्य भर में छह रैलियों और बेंगलूरू व मैसूरू में दो रोडशो के लिए वक्त निकाला. सभी में अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी, जिससे भाजपा को आस जगी कि उसके चुनाव अभियान को वह ताकत और सहारा मिलेगा जिसकी उसे बहुत जरूरत है, और कर्नाटक में 10 मई को मतदान के वक्त उसकी नैया पार लगा देगा. मई दिवस के अंतराल के बाद वे विभिन्न जगहों पर एक के बाद एक तय रैलियों के लिए फिर राज्य में लौटे. हर जनसभा में प्रधानमंत्री हिंदी में बोलते हुए "डबल इंजन सरकार" की थीम और कर्नाटक को "भारत का नंबर 1 राज्य" बनाने के विजन पर जोर देते हैं और स्थानीय नेताओं व उम्मीदवारों का विरले ही जिक्र करते हैं. बीच में वे कन्नड़ में पार्टी का नारा लगवाते हैं- 'ई बारिया निर्धारा, बहुमतधा बीजेपी सरकारा' (निर्णय किया इस बार, बहुमत की भाजपा सरकार).
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