एक, राज्य की पहली सेमी-हाइ स्पीड वंदे भारत एक्सप्रेस, दूसरी, अंतर्देशीय वॉटर मेट्रो. वॉटर मेट्रो एकीकृत नौका परिवहन प्रणाली है जो ग्रेटर कोच्चि इलाके की जरूरतों को पूरा करेगी. केरल की कारोबारी राजधानी यह अनूठी परिवहन सुविधा हासिल करने वाला देश का पहला शहर बन गई है. इसके 10 द्वीपों तक सड़क से पहुंचना मुहानों और बैकवॉटर के कारण बहुत मुश्किल था पर अब वे सब आपस में जुड़ जाएंगे. इसके लिए बैटरी से चलने वाली 78 इलेक्ट्रिक हाइब्रिड नावें चलेंगी. वॉटर मेट्रो करीब 78 किमी में फैले 15 मार्गों पर 38 टर्मिनलों से गुजरेंगी.
अप्रैल की 25 तारीख को 1,137 करोड़ रुपए की इस परियोजना ने पहली सवारी के दौरान गहरी छाप छोड़ी. पहली सवारियों में कई विकलांग बच्चे और उनके माता-पिता भी थे, जिन्होंने वायपीन से मुख्य भूभाग के हाइकोर्ट घाट की यात्रा की परियोजना का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने फेरी सेवा शुरू करने की केरल सरकार की इस पहल की भूरि-भूरि तारीफ की, जो पर्यावरण के अनुकूल है और कोच्चि में यातायात की अफरातफरी का व्यवहारिक समाधान भी.
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने उम्मीद जाहिर की कि यह अभिनव पहल केरल में पर्यटन क्षेत्र के विकास में योगदान देगी. परियोजना को केरल मेट्रो रेल लिमिटेड ने जमीन पर उतारा और इसकी लागत का बड़ा हिस्सा इंडो-जर्मन फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की तरफ से दिए गए 8.50 करोड़ यूरो (763.1 करोड़ रुपए) के कर्ज से आया. परियोजना 2035 तक पूरी होगी. पहले चरण में दो क्षेत्रों में परिचालन शुरू हो गया है. ये हैं वायपीन-हाइकोर्ट और वायतिला-कक्कनाड मार्ग.
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