• प्र. आपकी नजर में चंद्रयान-3 की प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं?
तमाम सारी. न्यूनतम लागत आश्वस्त करते हुए बेहद सधी गति के साथ चांद तक पहुंचने और सॉफ्ट लैंडिंग को अंजाम देने के इस मिशन की रणनीति बेहद अनूठी प्रबंधन योजना है, जो बुद्धिमत्तापूर्ण, अभिनव और मितव्ययी है. यह बात सभी चंद्र अभियानों पर लागू होती है. दूसरी सबसे बड़ी बात यह कि अंतरिक्षयान के निर्माण में जो प्रणालियां इस्तेमाल की गईं, वे हमारी आत्मनिर्भरता बढ़ने का प्रतीक हैं. उन्हें भारत में ही डिजाइन, विकसित और तैयार किया गया है, चाहे वह इलेक्ट्रॉनिक्स, प्रोपल्शन, कंट्रोल, सेंसर हो या कोई अन्य सिस्टम. तीसरी बात, पहले के दो चंद्र अभियानों ने हमें हमारी सीमाओं के बारे में बता दिया. वैसे, इसमें तो कोई दो राय नहीं कि कोई भी विफलता आपको सफलता की तुलना में कहीं अधिक सिखाती है. हमने यह तय किया कि नाकामियों से मिले सबक के आधार पर समाधान तलाशें. इसमें निर्णयात्मक और प्रबंधन प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण थी. इसके लिए हमने समावेशी, समीक्षा को तैयार, इसरो से इतर भी एक बड़े वैज्ञानिक समुदाय समेत सभी से सुझाव लेने वाला दृष्टिकोण अपनाया. साथ ही इस पर भी जोर दिया कि किसी भी टेस्ट, प्रदर्शन के विश्लेषण, सभी सुझावों के गहन अध्ययन में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा और कमियां दूर करने और सुधारने वाले कदमों को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. मैंने टीम से कहा था कि जब तक हर स्तर पर 100 फीसद संतुष्टि नहीं होती तब तक हम लॉन्च करने नहीं जा रहे.
• दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि आप इसे पिछले लॉन्च के सफलता-उन्मुख दृष्टिकोण के बजाए विफलता-केंद्रित दृष्टिकोण कहते हैं. इसका क्या आशय है?
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