कायाकल्प की कठिन कवायद
India Today Hindi|October 11, 2023
चुनाव नजदीक आता देख महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई की झुग्गी पुनर्विकास परियोजनाओं के तहत लाभार्थियों के लिए कई कदम उठाने का ऐलान किया. लेकिन अटकी परियोजनाएं और कथित तौर पर बिल्डरों के हित को साधने वाला रुख इन नेक इरादों पर फेर रहे पानी 
धवल कुलकर्णी
कायाकल्प की कठिन कवायद

असल में 2024 के लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सरकार झुग्गियों में बसने वाले एक बड़े वोट बैंक को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. राज्य सरकार ने तय किया है कि झुग्गी पुनर्विकास योजनाओं के तहत साल 2000 से 2011 के बीच बसी झुग्गियों में रहने वालों को 2.5 लाख रुपए में अपार्टमेंट आवंटित किया जाएगा. एक अनुमान के मुताबिक, इससे तकरीबन 16 से 18 लाख लोगों को फायदा होगा क्योंकि आने वाले कुछ वर्षों में उनकी झुग्गियों का कायाकल्प हो जाएगा. 2000 से पहले बसी झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग पहले ही कानूनी तौर पर संरक्षित हैं और मुफ्त आवास के पात्र हैं. कई लोग तो स्लम पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) की परियोजनाओं के तहत मिले 300 वर्ग फुट के फ्लैट में रह रहे हैं,

साल 2018 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार ने 1 जनवरी, 2000 और 1 जनवरी, 2011 के बीच बनी झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के साथ उन्हें किफायती कीमत पर घर मुहैया कराने का फैसला किया था. मई 2023 में जारी एक सरकारी प्रस्ताव में इसकी कीमत 2.5 लाख रुपए निर्धारित की गई. महाराष्ट्र राज्य आवास विभाग के सूत्रों का कहना है कि शुरू में निर्माण लागत के आधार पर शुल्क लेने की योजना थी. लेकिन किसी ऊंची इमारत में 300 वर्ग फुट का घर बनाने पर आने वाली लागत 8 से 12 लाख रुपए के बीच बैठती, इसलिए यह रकम 2.5 लाख रुपए तय की गई.

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