इस फैलाव के बावजूद, और इस तथ्य के बावजूद भी कि यह सारे कैंसरों में सबसे ज्यादा रोका जा सकने वाला कैंसर है, सर्विकल कैंसर के खिलाफ कार्रवाई सुस्त रही है. मगर तिरुवनंतपुरम स्थित रीजनल कैंसर सेंटर (आरसीसी) ने इसकी जांच और पहचान के लिए एक नया एआइआधारित स्क्रीनिंग टूल विकसित किया है, जो शुरुआत में ही इसकी पहचान के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. पिछले साल इसे पेटेंट कराया गया और अब इस्तेमाल के लिए बिल्कुल तैयार है.
महज 50 लाख रुपए से भी कम लागत के स्क्रीनिंग टूल से, जिसे 'सर्वाइस्कैन' नाम दिया गया है, सर्विकल कैंसर की पहचान में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा, उस पारंपरिक पैप स्मीयर टेस्ट के मुकाबले, जिसके लैब से नतीजे आने में एक से तीन हफ्तों जितना लंबा वक्त लगता है. सर्वाइस्कैन पर सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा या प्रवेश द्वार की कोशिकाओं को आठ मिनट में पूरी तरह स्कैन किया जा सकता है. उनकी मॉर्फोलॉजी या आकृति विज्ञान का विश्लेषण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से किया जाता है और किसी भी तरह की असामान्यता का संकेत देने वाली रिपोर्ट कंप्यूटर पर मिल जाती है. कोशिकाओं का अध्ययन सबसे प्रासंगिक 25 ढांचों में किया जाता है, जिससे कंप्यूटर पर इस मिली रिपोर्ट का सही होना पक्का हो जाता है. सर्वाइस्कैन के मुख्य हिस्सों में एक काइटोस्पिन (खास तरह का सेंट्रीफ्यूज या अपकेंद्रण यंत्र), एक ऑटोस्टेनर (स्वचालित स्टेनिंग इकाई) और एक स्कैनर इकाई शामिल हैं.
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