![किसने छीन ली मिठास? किसने छीन ली मिठास?](https://cdn.magzter.com/India Today Hindi/1699247489/articles/4mpFy2Hbn1699255406194/1699255671645.jpg)
पहलगाम के ब्रिधाजी गांव के अन्य लोगों की तरह 54 वर्षीय मोहम्मद रजब ने भी 2005 में मक्के की खेती छोड़कर अपनी 4.5 कनाल भूमि पर सेब के पेड़ लगा दिए. सेब की खेती ने 150 घरों वाले इस गांव में उनके कई पड़ोसियों की किस्मत ही बदल दी थी. इनमें कई लोगों ने सन् 2000 के बाद ही अपने मक्के के खेतों को सेब के बगीचों में तब्दील कर दिया था. रजब सेब के पेड़ों की देखभाल के लिए सुबह जल्दी ही अपने बगीचे में पहुंच जाते. नियमित तौर पर कीटनाशक और पोषक तत्वों का छिड़काव करते और पेड़ों के बीच 10 से 20 फुट दूरी रखने जैसे वैज्ञानिक तरीके भी अपनाते और जब सेब फलने लगता तब उन्हें जंगली भालुओं से बचाने के लिए रात भर बगीचे में रुककर पहरेदारी भी करते. रजब कहते हैं, "मैंने बगीचे को एकदम बच्चे की तरह पाला-पोसा है." इस उम्मीद के साथ कि गुणवत्तापूर्ण सेबों की उपज उन्हें अच्छा लाभ दिलाएगी. हालांकि, पिछले तीन साल में बार-बार हुए आर्थिक नुक्सान ने रजब को सेब की खेती करने पर पुनर्विचार के लिए बाध्य कर दिया है.
रजब बताते हैं, "मौसम में अचानक होने वाला बदलाव-जैसे सुबह-शाम बेमौसम बारिश या ओलावृष्टि हो जाना-पेड़ों के फलने के समय काफी नुक्सानदेह साबित होता है. इसके अलावा बीमारियों के प्रकोप ने भी यहां खेती को अस्थिर कर दिया है." 2020 तक रजब अपने बगीचे में 450 पेटी 'डिलीशियस' किस्म के सेब उगा लेते थे, जिससे उन्हें सालाना लगभग 2.5 लाख रुपए की कमाई होती थी. लेकिन अक्तूबर 2021 के शुरू में हुई बर्फबारी ने पूरी घाटी में सेब के बगीचों को तबाह कर दिया. रजब के बगीचे को पहुंचा नुक्सान अब भी साफ देखा जा सकता है, जहां करीब 70 पेड़ नट और बोल्ट के सहारे खड़े हैं. अब, बुरी तरह हताश हो चुके पांच बच्चों के पिता रजब कहते हैं, “तब से मेरे बगीचे में 35 फीसद भी फल नहीं आते. हम सेब के इन 100 पेड़ों को काटकर जलावन लकड़ी के रूप में इस्तेमाल करेंगे. आर्थिक नुक्सान को देखते हुए मेरा परिवार नहीं चाहता कि मैं और सेब उगाऊं. दूसरों की तरह मैं भी अगले साल अखरोट के पेड़ लगाने की सोच रहा हूं. उन्हें सेब की तरह कीटनाशक या इतनी देखभाल की जरूरत नहीं होती और न ही मौसम का उतार-चढ़ाव ही ज्यादा असर डालता है."
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![रील के रसिक बनते भस्म-भभूत वाले तपस्वी रील के रसिक बनते भस्म-भभूत वाले तपस्वी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/V1y3fpEIW1739185336590/1739185578189.jpg)
रील के रसिक बनते भस्म-भभूत वाले तपस्वी
कहते हैं उपनिषदों का ज्वलंत ज्ञान सबके लिए नहीं है. वजहः यह बुद्धि मात्र की यानी सिर्फ बौद्धिक उपलब्धि नहीं बल्कि शरीर पर उसके निरंतर गहन अभ्यास से आप वहां तक पहुंचते हैं. लेकिन संगम में स्नान के लिए वे विभूतियां भी आती हैं जो तमाम सांसारिक आकर्षणों से दूर हो चुकी हैं.
![तगड़ा झटका तगड़ा झटका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/UozqDkrAT1739181839176/1739182008378.jpg)
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दरअसल, दंडकारण्य के घने जंगलों में, जहां पत्तों की हर सरसराहट के साथ शिकार और शिकारी के बीच की सीमा रेखाएं धुंधली पड़ जाती हैं, अभी-अभी वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ देश की लंबे वक्त से चल रही लड़ाई का एक नाटकीय अध्याय लिखा गया.
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कभी औद्योगिक शहर की पहचान रखने वाला मोकामा आखिर नब्बे के दशक में कैसे बना बिहार का क्राइम कैपिटल? अपनी बदनाम छवि से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा यह शहर हाल में गुटों के बीच भारी गोलीबारी से एक बार फिर दहला
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अब जब बाहरी दुनिया में अनिश्चितता दिख रही है तो 2025 के बजट में कुछ बेहद आवश्यक आश्वासन दिए गए हैं, साथ ही राजकोषीय विवेक की सीधी और संकरी राह का अनुसरण किया गया है
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किताबें, किरदार और ककड़ी
बाकी के रूटीनी मेलों से कितना अलग होता है किताबों और थिएटर के उत्सव-जलसों का मिजाज! जरूरत की या लक्जरी चीजों को खरीदने-बेचने के हड़बोंग से हटकर यहां दिखती है अपने भीतरी सॉफ्टवेयर को अपडेट करने की बेचैनी (संदर्भ: प्रगति मैदान में दिल्ली विश्व पुस्तक मेला; राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में भारंगम). थोड़ा सजग रहें तो कई गुदगुदाते वाकयों से भी आप गुजरते हैं.
![छिड़ गया सत्ता संघर्ष छिड़ गया सत्ता संघर्ष](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/3LLiwnUS91739181555756/1739181657557.jpg)
छिड़ गया सत्ता संघर्ष
कश्मीर के बडगाम में गणतंत्र दिवस पर जिला विकास परिषद (डीडीसी) के अध्यक्ष नजीर अहमद खान के तिरंगा फहराने के दौरान एक नामौजूदगी साफ नजर आई. जिले के चारों विधायक उस समारोह से नदारद रहे.
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पिछड़ों की परवाह
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ममता पर उत्तर पड़े अखाड़े में
कभी ग्लैमरस अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाने के बाद शुरू हुआ बखेड़ा. अखाड़ों में बढ़ते वैभव के चलते लगा महामंडलेश्वर बनने का चस्का
![देसी स्वाद की देवी देसी स्वाद की देवी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/182/1989944/HjN39pO1J1739184202164/1739184315583.jpg)
देसी स्वाद की देवी
रेस्तरां मालिक ऋतु डालमिया लंबे वक्त की अपनी साथी माइकेला टेडसन के साथ हाल ही हुई शादी के बाद घर में खुशियों का मजा ले रही हैं