उन्नाव के अब्बासपुर इलाके के एक निजी रिजॉर्ट में 17 मार्च को उन्नाव सदर विधानसभा के बूथ अध्यक्षों की बैठक किसी बोर्ड परीक्षा सरीखी थी. सुबह 10 बजे से उन्नाव विधानसभा के 300 से अधिक बूथ अध्यक्ष एक-एक कर पहुंचने लगे थे. हॉल में पड़ी कुर्सियों की बगल में लगे स्टैंड में बूथ नंबर चस्पां देख बूथ अध्यक्ष आश्चर्य में पड़ गए. सभी बूथ अध्यक्षों को अपने बूथ नंबर वाली कुर्सी पर ही बैठना था. यह कुछ वैसा ही नजारा था जैसा कि बोर्ड परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थी अपने रोल नंबर वाली सीट को परीक्षा हॉल में तलाशता है. लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा ने बूथ पर संगठन को दुरुस्त करने के लिए इस बार नई रणनीति अपनाई.
इस रणनीति के सूत्रधार उत्तर प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने स्वयं पहली बैठक उन्नाव में की. इसमें पहली बार बूथ अध्यक्षों के बैठने के लिए सीटें निर्धारित थीं. किसी भी बूथ अध्यक्ष को निर्धारित सीट प्लान से इतर बैठना मना था. दिन में साढ़े ग्यारह बजे जब बैठक शुरू हुई तो मंच पर बैठे पदाधिकारी बूथ नंबर के हिसाब से भाजपा के सभी बूथ अध्यक्षों से मुखातिब हुए. पदाधिकारियों के पास मौजूद कागज में प्रत्येक बूथ नंबर के आगे उसके बूथ अध्यक्ष का नाम, क्षेत्र और संबंधित अध्यक्ष के दायित्व का जिक्र था. करीब चार घंटे तक चली बैठक में एक-एक करके सभी बूथ अध्यक्षों से उनके इलाके में भाजपा की योजनाओं का हाल जाना गया और लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन का फीडबैक लिया गया. उन्नाव के साथ प्रदेश के सभी 1.64 लाख बूथों में सीटिंग प्लान पर आधारित भाजपा के बूथ सम्मेलनों का आगाज हो गया.
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