वसंत पंचमी के मौके पर 14 फरवरी को राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करते ही यह तय हो गया कि सोनिया गांधी अब यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से अपनी राजनैतिक यात्रा को विराम दे देंगी. लगातार पांच बार रायबरेली लोकसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए यह आसान फैसला नहीं था. इसीलिए नामांकन के अगले दिन उन्होंने इस क्षेत्र के लोगों को एक भावुक पत्र लिखा. उन्होंने बताया कि कैसे उनकी सेहत अब उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देती. वे 2004 से रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. इस 77 वर्षीया सांसद ने मतदाताओं को एक भावनात्मक संदेश में अपने परिवार के एक सदस्य के चुनावी राजनीति में संभावित प्रवेश के संकेत भी दिए.
सोनिया गांधी के इस संकेत को हकीकत में बदलने के लिए रायबरेली की जनता को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के नामांकन की अंतिम तिथि तक इंतजार करना पड़ा. कई हफ्तों के सस्पेंस और अनिश्चितता को खत्म करते हुए कांग्रेस ने 3 मई की सुबह उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार की पारंपरिक सीटों अमेठी और रायबरेली के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, लेकिन एक बदलाव के साथ. पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने रायबरेली का रुख किया, जो शायद अमेठी की तुलना में अधिक सुरक्षित सीट है, जहां से वे 2019 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे, जबकि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव नहीं लड़ेंगी. प्रियंका को चुनाव न लड़वाने का निर्णय राहुल गांधी का ही था जो किसी भी तरह भाजपा को परिवारवाद का मुद्दा नहीं थमाना चाहते थे.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
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निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.