थिएटर मेरी जान
India Today Hindi|22 May, 2024
अपने म्यूजिकल और भव्य नाटकों के लिए मशहूर रंगकर्मी फिरोज अब्बास खान की लेटर्स ऑफ सुरेश के साथ क्लासिक थिएटर में वापसी
सुहानी सिंह
थिएटर मेरी जान

ए दशक में फिरोज अब्बास खान रंगमंच के एस.एस. राजमौलि या संजय लीला भंसाली बनकर उभरे हैं. मुगले-आजम, रौनक ऐंड जस्सी और सिविलाइजेशन टु नेशन (जिसके मंचन के साथ मुंबई में नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर / एनएमएसीसी की शुरुआत हुई) सरीखे म्युजिकल्स के जरिए खान रंगमंच को खासे बड़े दायरे तक ले गए. ये सभी भव्य और शानदार प्रस्तुतियां थीं और इनमें तरह-तरह की प्रदर्शनकारी कलाओं को शामिल किया गया था. खान कहते हैं कि 100 से ज्यादा अदाकारों/सहायकों के लवाजमे को दिन-रात संभालना कोई 'जाना-बूझा फैसला' नहीं था, पर इसके लिए भीतर एक तड़प तो चाहिए ही होती है. "जब खालिस थिएटर की बात आती है तो मैं तो न्यूनतम में ही सहज महसूस करता हूं. भाषा और प्रदर्शन के शुद्धतम रूपों की तरफ जाना... यही रंगमंच की ताकत है."

This story is from the 22 May, 2024 edition of India Today Hindi.

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