उद्यमी जी. डी. बिरला ने अपने गृहनगर पिलानी में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस की स्थापना की थी जिसे आम तौर पर बिट्स पिलानी के नाम से जाना जाता है. इसने न केवल इंजीनियरिंग शिक्षा में एक अद्वितीय मानक स्थापित किया है बल्कि नवाचार के मामले में भी यह नितांत उर्वर-उपजाऊ स्थान बन गया है. जैसा कि के वाइस चांसलर वी. रामगोपाल राव ने सटीक ढंग से बयान किया, "अगर मुझे एक शब्द में बिट्स का वर्णन समूह करना होता तो वह यूनिवर्सिटी ऑफ आंत्रेप्रेन्योरशिप (उद्यमिता विश्वविद्यालय) होता." आंकड़े उनके बयान की पुष्टि करते हैं. बिट्स पिलानी के शानदार पूर्व छात्रों ने 14 यूनिकॉर्न और एक डेकाकॉर्न की स्थापना की है, जिसमें स्विगी, बिगबास्केट और ग्रो जैसे घरेलू नाम शामिल हैं. इस उल्लेखनीय उद्यमशीलता की सफलता ने मार्गदर्शन और समर्थन की संस्कृति को बढ़ावा दिया है, जहां पूर्व छात्र सक्रिय रूप से स्टार्ट-अप की अगली पीढ़ी का मार्गदर्शन और वित्तपोषण करते हैं, उन्हें व्यापार जगत की चुनौतियों से उबारते हैं.
This story is from the July 03, 2024 edition of India Today Hindi.
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नौकरी के नाम पर गंदा खेल
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आर्थिक मंदी ने आइआइटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़े छात्रों की नौकरी पर असर दिखाना शुरू कर दिया है. ऐसे संस्थानों की डिग्री अब नौकरी पक्की होने की गारंटी नहीं रही
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“हम परीक्षाओं को 100 फीसद फूलप्रूफ बनाएंगे”
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की कमान संभालने के फौरन बाद धर्मेंद्र प्रधान को राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा प्रणाली में गंभीर अनियमितताओं और गड़बड़ियों को लेकर उठे तूफान से निबटना पड़ा. इस मामले में विपक्ष ने उनके इस्तीफे की मांग तक कर डाली. इंडिया टुडे के ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और डिप्टी एडिटर अनिलेश एस. महाजन के साथ 25 जून को एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रधान ने इस संकट से पार पाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों और आगे की चुनौतियों के बारे में दोटूक और खरी-खरी बात की. इसी बातचीत के अंशः
तमाशा बनी परीक्षाएं
पर्चा लीक और कई खामियों से चार राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षाओं और करोड़ों युवाओं का भविष्य अधर में. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी विवादों के भंवर में. उसमें सुधार और पारदर्शिता वक्त की जरूरत बना
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यह ऐसी योजना थी जैसे ताजा कटा हुआ चमकता नग हो. पांच साल पहले सूरत डायमंड बोर्स (एसडीबी) को मुंबई बढ़ती भीड़ और लागत वृद्धि का एकदम सटीक विकल्प माना गया था. मुंबई, जहां भारत के अधिकांश हीरा व्यापारी हैं, की टक्कर में हीरा कारोबारियों के लिए शानदार, सस्ते और बड़े ऑफिस, चौड़ी सड़कें, उन्नत हवाई अड्डे के साथ योजनाबद्ध अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय हवाई संपर्क की योजना बनाई गई थी. इसमें सोने में सुहागा प्रस्तावित बुलेट ट्रेन थी जो महज दो घंटे में सूरत से मुंबई बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स तक पहुंचा देती.