पंगु करने के प्रयास शुरू!
India Today Hindi|July 31, 2024
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) की शक्तियां और अधिकार केंद्र सरकार ने बढ़ा दिए हैं. उन्हें उन मामलों का अधिकार भी सौंप दिया गया है जिनमें राज्य के वित्त महकमे की सहमति की जरूरत थी. यह 'कार्य संचालन' नियमों में बदलाव के जरिए किया गया. इससे प्रमुख प्रशासनिक और कानूनी मामलों में एलजी के अधिकार बढ़ गए. ये चुनी हुई सरकार के सत्ता में आने के साथ लागू होंगे.
मोअज्जम मोहम्मद
पंगु करने के प्रयास शुरू!

इनमें नागरिक व्यवस्था से जुड़े फैसलों के साथ-साथ अखिल भारतीय सेवाओं (आइएएस/आइपीएस), जम्मू-कश्मीर पुलिस के अफसरों, एडवोकेट-जनरल या महाधिवक्ता समेत न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले से जुड़े फैसले शामिल हैं. इनके लिए अब एलजी की मंजूरी की जरूरत होगी. नए नियमों से भ्रष्टाचार-निरोधक निकाय, जेलों और अभियोजन तथा अपील दायर करने पर भी एलजी का नियंत्रण बढ़ गया है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय की 12 जुलाई को जारी अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एलजी के अधिकारों का दायरा बढ़ाने के लिए अधिनियम की धारा 55 में बदलाव करके तीन नए संशोधन जोड़े हैं. यह तत्कालीन राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के साथ लाए गए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के वजूद में आने के बाद दूसरा संशोधन है. इससे पहले प्रशासन के एक प्रमुख अधिकारी जम्मू-कश्मीर के गृह सचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास था. नियम 50 के उपनियम 3 के खंड बी के तहत एलजी को जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव और डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (जीडीपी) की नियुक्ति के मामले में 'पूर्व संदर्भ' केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजना होता था. अब 28 फरवरी को अधिसूचना के जरिए इसमें संशोधन करके राज्य के गृह सचिव की नियुक्ति में भी केंद्र की मंजूरी लेना जरूरी बना दिया गया.

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