कई देशों ने पिछले दशकों में मध्य आय से उच्च आय का स्तर हासिल किया है. उन्हें या तो बड़े यूरोपीय बाजार में शामिल होने से फायदा हुआ या फिर वे तेल और गैस जैसे प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न थे. इसके कुछ उल्लेखनीय अपवाद दक्षिण कोरिया, ताइवान और इज्राएल जैसे देश हैं जो आरएंडडी और इनोवेशन के समर्थन से मैन्युफैक्चरिंग की बदौलत मध्य आय के चंगुल से बचे रहे. कुछ देशों ने जिंस निर्यात या मैन्युफैक्चरिंग का इस्तेमाल किया और कुछ समय तक बेहतर किया लेकिन आखिरकार फंस गए. इस पृष्ठभूमि में भारत को समृद्धि की अपनी राह खुद बनानी होगी, जहां मैन्युफैक्चरिंग अहम भूमिका निभाएगा. फिर भी, यह बहुआयामी कहानी होनी चाहिए जिसमें वृद्धि समावेशी और टिकाऊ हो. हमको आधुनिकतम इनोवेशन पर आधारित वैल्यू चेन अपनानी होगी लेकिन इसके साथ श्रम बहुल उद्योग भी जरूरी होंगे जो युवाओं को लाभ के साथ रोजगार दे सकें.
भू-राजनीति और कोविड की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में हुए व्यवधानों के चलते देशों और कारोबारों ने 'चीन-प्लस वन' की रणनीति अपनाई है, यानी एशियाई दिग्गज के विकल्प की तलाश. हालांकि अकेला भारत ही नहीं होगा जो चीन के 'प्लस वन' के लिए होड़ करेगा. मैन्युफैक्चरिंग में बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए हमें लागत गुणवत्ता, उपभोक्ता सेवा, पूंजी उत्पादकता, इनोवेशन और ब्रांडिंग के रूप में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम होना होगा.
This story is from the August 28, 2024 edition of India Today Hindi.
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लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई