भारत अपने थोरियम भंडार का लाभ कैसे उठा सकता है?
India Today Hindi|August 28, 2024
एटमी ऊर्जा उत्पादन के लिए थोरियम का पूरा लाभ उठाया गया तो घरेलू जरूरतें पूरी करने के साथ देश से बिजली निर्यात की महत्वाकांक्षा पूरी करने में भी मदद मिलेगी
अनिल काकोदकर
भारत अपने थोरियम भंडार का लाभ कैसे उठा सकता है?

भारत के एटमी ऊर्जा कार्यक्रम की कुछ बहुत खास उपलब्धियां रही हैं. इसकी बदौलत हम एटमी हथियार संपन्न देश (एटमी पनडुब्बी क्षमता सहित) बनकर उभर पाए. साथ ही इसने हमें प्रेशराइज्ड हेवी भा वॉटर रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) या दबावयुक्त गुरु जल रिएक्टर और उससे जुड़ी न्यूक्लियर फ्यूल साइकल टेक्नोलॉजी भी दी, जो व्यावसायिक रूप से सफल है और वैश्विक मानदंडों के अनुरूप काम कर रही है. भारत में अभी 220, 540 और 700 एमडब्ल्यूई (मीटर वॉटर इक्विवैलेंट) इकाई आकारों के उन्नीस पीएचडब्ल्यूआर काम कर रहे हैं. 700 एमडब्ल्यूई की चौदह और इकाइयां फ्लीट मोड में निर्माणाधीन हैं. अपनी तीन चरणों की रणनीति के अगले चरण के तौर पर हम 500 एमडब्ल्यूई का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर चालू करने के भी नजदीक हैं, जिसका लक्ष्य थोरियम के हमारे विशाल और दुनिया में सबसे बड़े भंडारों के बूते भारत के लिए लंबे वक्त की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है. थोरियम को उच्च तापमान वाले एटमी रिएक्टरों के ईंधन के तौर पर भी तरजीह दी जाती है, जिनकी उद्योग के लिए सस्ती और स्वच्छ हाइड्रोजन बनाने की खातिर जरूरत है.

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