'नारा-ए-तकबीर, अल्लाहु अकबर' और 'इंकलाब जिंदाबाद' के आम नारों के बीच रेशी ने अपनी पहली चुनावी तकरीर शुरू की, पर उनकी बयानबाजी भी इस बार अलग थी. रेशी ने बार-बार भारतीय संविधान और उसमें निहित मौलिक अधिकारों का जिक्र किया और कहा, "हम भारत के नागरिक हैं और हमें देश के अन्य नागरिकों के समान ही अधिकार हासिल हैं. बदलाव शुरू हो गया है. मैं बेजुबानों की आवाज बनूंगा, हम साबित कर देंगे कि भारत और लोकतंत्र के प्रति हमसे ज्यादा वफादार कोई और नहीं है." वैसे कहरोटे गांव स्थित रेशी का घर उन ठिकानों में से एक था, जहां फरवरी में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंकी फंडिंग मामले में छापे मारे थे.
अलगाववादियों के चुनाव बहिष्कार के आह्वान के बीच 1996 से कुलगाम सीट का प्रतिनिधित्व भाकपा नेता एम. वाइ. तारिगामी करते रहे हैं. रेशी ने यह भी कहा, "हमने (जमात) कभी चुनाव बहिष्कार नहीं किया, मगर हम (1987 में हुई ) धांधली का विरोध करते थे. मुझे निर्दलीय चुनाव लड़ने पर बाध्य होना पड़ा. अगर वे (केंद्र) जमात पर प्रतिबंध हटा देते तो हमने अपने खुद के चुनाव चिह्न पर लड़ने की योजना बना रखी थी."
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