वित्तीय क्षेत्र में अपने साढ़े तीन दशक लंबे करियर में माधबी पुरी बुच के लिए चुनौतियां कोई नई बात नहीं हैं. 1990 के दशक के आखिर में जब वे आइसीआइसीआइ बैंक में थीं, उनके मैनेजर ने टेक्नोलॉजी के मामलों में निपट निरक्षर होने के लिए उन्हें फटकार लगाई थी. पिछले साल नवंबर में एक इंटरव्यू में उन्होंने इंडिया टुडे को बताया, "मुझसे कहा गया था कि जब तक मैं टेक्नोलॉजी में अच्छी तरह पारंगत नहीं होती, मैं कंपनी में कहीं नहीं पहुंचूंगी." इस संदेश ने उनके मन में टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने का संकल्प इस कदर जगा दिया कि कुछ ही महीनों के भीतर उसी बॉस ने उन्हें आइसीआइसीआइडाइरेक्ट डॉटकॉम लॉन्च करने की जिम्मेदारी सौंप दी, जो देश में सबसे शुरुआती ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (एसईबीआई या सेबी) की पहली महिला और निजी क्षेत्र से आई उसकी पहली प्रमुख 58 वर्षीया बुच अपनी अब तक की शायद सबसे बड़ी चुनौती से घिरी हैं- और वह भी एक साथ कई हलकों से पहले तो अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 10 अगस्त को बुच और उनके पति (यूनिलीवर के पूर्व एग्जीक्यूटिव धवल बुच) के खिलाफ आरोपों का पूरा पिटारा खोल दिया. उसने उनके खिलाफ कथित तौर पर उसी अदाणी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड में निवेश करने का आरोप लगाया, जिसकी जांच शेयरों की कीमत में कथित हेराफेरी के लिए सेबी कर रही थी. एक आरोप यह है कि उन्होंने सेबी में नीतिगत फैसलों को इस तरह प्रभावित किया, जिससे रियल एस्टेट इंवेस्टमेंट ट्रस्टों (आरईआइटी) को मदद मिली, वह भी ऐसे वक्त जब धवल देश में आरईआइटी के सबसे बड़े निवेशकों और प्रायोजकों में से एक ब्लैकस्टोन के सलाहकर बन गए थे. एक और आरोप यह था कि अप्रैल 2017 से मार्च 2022 के बीच जब बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य और बाद में उसकी अध्यक्ष थीं, उनके पास सिंगापुर की कंसल्टेंसी फर्म अगोड़ा पार्टनर्स की 100 फीसद हिस्सेदारी थी, जो सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन था.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.