पलामू जिले के एक छोटे से गांव से आइएएस अधिकारी बनने का सपना संजोए विश्वजीत कुमार इस साल जनवरी की एक सर्द सुबह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उतरे और करीब 10 किलोमीटर दूर मुखर्जी नगर पहुंचे. मुखर्जी नगर इसलिए क्योंकि झारखंड के इस युवा को हिंदी माध्यम में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करनी थी. मुखर्जी नगर से सटे गांधी विहार में पहले से उनके दो दोस्त एक कमरा लेकर रह रहे थे. कमरे का किराया अधिक था तो ये दोनों तीसरे रूम पार्टनर की तलाश में थे. विश्वजीत उनके तीसरे रूम पार्टनर बन गए. वे कहते हैं, "छोटे से कमरे में तीन लोगों का गुजारा इसलिए भी होने लगा क्योंकि कोई कमरे में पढ़ाई नहीं करता था बल्कि सब पढ़ने के लिए प्राइवेट लाइब्रेरी जाते थे. शुरू में बहुत दिक्कत हुई लेकिन ये दिक्कतें सिर्फ मेरी नहीं थीं, बल्कि सभी अभ्यर्थियों की थी. इसलिए मैंने इन्हें 'न्यू नॉर्मल' मानकर स्वीकार कर लिया. घर वाले पूछते थे तो मैं उन्हें यही बताता था कि सब ठीक है और मैं अच्छे से रह रहा हूं." इस बीच जुलाई के आखिरी हफ्ते में ओल्ड राजेंद्र नगर में राउज आइएएस स्टडी सर्कल कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में चल रही संस्थान की लाइब्रेरी में अचानक पानी भर जाने से तीन छात्रों की मौत हो गई. इस हादसे ने राष्ट्रीय स्तर पर काफी सुर्खियां बटोरीं. विश्वजीत बताते हैं, “जब टीवी पर दिखाया जाने लगा कि किस तरह की अमानवीय परिस्थितियों में रहकर यहां सामान्य परिवारों के छात्र तैयारी कर रहे हैं तो मेरे मां-बाप भी चिंतित होने लगे. मेरे पापा दिल्ली आए और कमरे से लेकर बाकी सारी चीजों को देखने के बाद वे मुझे लेकर झारखंड वापस आ गए. तब से मैं ऑनलाइन क्लासेज कर रहा हूं."
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करने के लिए दो प्रमुख केंद्र हैं. इनमें ओल्ड राजेंद्र नगर मुख्य तौर पर अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए तो मुखर्जी नगर हिंदी माध्यम के छात्रों के सबसे बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता है. जुलाई वाले हादसे के बाद कोचिंग संस्थानों और स्टडी सेंटर्स के तौर पर चल रही प्राइवेट लाइब्रेरियों के खिलाफ बेहद नाराजगी का माहौल बना.
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