
थीं कितनी दुश्वारियां
दशकों तक देश का ग्रामीण क्षेत्र टूटी-फूटी, नाकाफी सड़कों से जूझता रहा है. 2000-01 में देश में सिर्फ 1.97 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें थीं. बहुत-से गांवों में कीचड़ भरे रास्तों या खड़ंजों से गुजर कर ही जाना पड़ता था, जो बरसात में खासे जोखिम भरे हो जाते थे और पूरे साल भी मुश्किल से ही चलने लायक रहते थे. स्कूलों, अस्पताल और बाजारों तक पहुंचना बेहद मुश्किल भरा होता था. ग्रामीण भारत की रीढ़ किसान इसका खामियाजा भुगत रहे थे. खेत से उठाकर अपनी फसल को बाजारों तक पहुंचाने में बड़ी मशक्कत होती थी, क्योंकि कई फसलें अक्सर रास्ते में ही सड़ जाती थीं. इससे आमदनी घट जाती थी और रोजी-रोटी चलाना कठिन हो जाता था. बीमारी की आपातस्थिति तो जानलेवा हो जाती थी क्योंकि दुर्गम इलाके के कारण अक्सर एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती थी. यह भयावह नजारा शहरी-ग्रामीण के बीच की खाई है. इससे देश का विशाल हिस्सा अविकसित रह गया है, और उसकी क्षमता का दोहन नहीं हो पाया है.
यूं आसान हुआ जीवन
वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की शुरुआत भारत के ग्रामीण विकास के क्षेत्र में अहम मौका था. इसका मकसद ग्रामीण भारत की क्षमता को सामने लाना था और सभी वंचित गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ना था. शुरुआत में मैदानी इलाकों में 500 से ज्यादा और पहाड़ी इलाकों में 250 से ज्यादा की आबादी वाले गांवों में सड़क पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया. इस तरह पीएमजीएसवाइ से पिछले कुछ वर्षों में काफी विकास हुआ है.
Bu hikaye India Today Hindi dergisinin February 05, 2025 sayısından alınmıştır.
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ऐशो-आराम की उभरती दुनिया
भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है.

भारत की प्राचीन बौद्धिक ताकत
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस सत्र का बेसब्री का इंतजार किया जा रहा था और विलियम डेलरिम्पिल ने निराश भी नहीं किया.

असीम आकाश का सूरज
गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.

मौन क्रांति की नींव
भारत लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन यह यात्रा देश के दूरदराज इलाकों बन रहे बुनियादे ढांचे के बिना मुमकिन नहीं हो सकती.

सबके लिए एआइ
टोबी वाल्श आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को समझाने के लिए जिसे मिसाल बनाना पसंद करते हैं, वह है बिजली. यह सब जगह है, दूरदराज के कोनों में भी.

उथल-पुथल के दौर में व्यापार
बराबरी का टैरिफ लगाने की तलवार सिर पर लटकी होने से भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को पक्का करने में कोई वक्त नहीं गंवाया, जिसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 200 अरब डॉलर (17.4 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर दशक के अंत तक 500 अरब डॉलर (43.6 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का है.

चर्बी से यूं जीतें जंग
चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं.

रोबॉट के रास्ते आ रही क्रांति
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव एआइ की शक्ति से संचालित मानवाकार रोबॉट-स्पेसियो-और गार्डियो नाम के साइबर हाउंड्स के लाइव प्रदर्शन का गवाह बना.

देखभाल और विकल्प के बीच संतुलन की दरकार
हाल के सालों में सरगर्म बहस होती रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए या जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर.

रूस की पाती
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है.