
थीं कितनी दुश्वारियां
नई दिल्ली स्टेशन पर पहाड़गंज की तरफ से न ब 3 किलोमीटर दूर संसद मार्ग पर जंतर मंतर जाने के लिए ऑटो रिक्शे वाला आपसे 50 रुपए लेगा जबकि इतनी ही दूरी पर स्थित सदर बाजार तक ई-रिक्शे वाला 10 रुपए में पहुंचा देगा. फासला वही, किराया अलग-अलग. कनॉट प्लेस में ई-रिक्शे नहीं चलते इसलिए ज्यादा खर्च करना मजबूरी है. दिल्ली-एनसीआर में जब ई रिक्शे प्रचलित नहीं हुए थे तब मेट्रो स्टेशनों और बस स्टॉप से एक-डेढ़ किलोमीटर दूर तक जाने में भी लोगों को ऑटोवालों या साइकिल रिक्शे वालों के मुंहबोले दाम देने पड़ते थे या दूसरा विकल्प ठसाठस भरे टेंपो होते थे. इससे लोगों को बहुत परेशानी होती थी. स्थानीय परिवहन का यह संकट पूरे देश में था.
यूं आसान हुआ जीवन
अब ई-रिक्शा वाले गलियों के मुहाने तक लोगों को 10 से 20 रुपए में पहुंचा रहे हैं. देश की राजधानी और दूसरे महानगरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक में ई-रिक्शा आवाजाही का भरोसेमंद साधन बन गया है. इसके बूते लास्ट माइल कनेक्टिविटी का विचार सही मायनों में जमीन पर उतर आया है.
ई-रिक्शे का सफर मुख्य रूप से दिल्ली में ही शुरू हुआ जब 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों से कुछ पहले हरित ऊर्जा चालित इस वाहन को सड़क पर उतारा गया. इससे पहले ई-रिक्शा गोल्फ कार्ट के रूप में प्रगति मैदान और अन्य जगहों पर ही दिखता था. सस्ता और सुलभ होने के कारण यह तेजी से लोकप्रिय हुआ और इसकी संख्या भी बढ़ती चली गई.
この記事は India Today Hindi の February 05, 2025 版に掲載されています。
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ऐशो-आराम की उभरती दुनिया
भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है.

भारत की प्राचीन बौद्धिक ताकत
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस सत्र का बेसब्री का इंतजार किया जा रहा था और विलियम डेलरिम्पिल ने निराश भी नहीं किया.

असीम आकाश का सूरज
गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.

मौन क्रांति की नींव
भारत लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन यह यात्रा देश के दूरदराज इलाकों बन रहे बुनियादे ढांचे के बिना मुमकिन नहीं हो सकती.

सबके लिए एआइ
टोबी वाल्श आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को समझाने के लिए जिसे मिसाल बनाना पसंद करते हैं, वह है बिजली. यह सब जगह है, दूरदराज के कोनों में भी.

उथल-पुथल के दौर में व्यापार
बराबरी का टैरिफ लगाने की तलवार सिर पर लटकी होने से भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को पक्का करने में कोई वक्त नहीं गंवाया, जिसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 200 अरब डॉलर (17.4 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर दशक के अंत तक 500 अरब डॉलर (43.6 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का है.

चर्बी से यूं जीतें जंग
चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं.

रोबॉट के रास्ते आ रही क्रांति
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव एआइ की शक्ति से संचालित मानवाकार रोबॉट-स्पेसियो-और गार्डियो नाम के साइबर हाउंड्स के लाइव प्रदर्शन का गवाह बना.

देखभाल और विकल्प के बीच संतुलन की दरकार
हाल के सालों में सरगर्म बहस होती रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए या जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर.

रूस की पाती
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है.