विगत 19 सितम्बर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु उज्जैन प्रवास पर थीं। इस दौरान उन्होंने महाकाल परिसर में झाडू लगाकर श्रमदान कर यह संदेश दिया कि चाहे कोई व्यक्ति कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो, स्वच्छता उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि पिछले 10 वर्षों में स्वच्छता अभियान देशव्यापी जन आंदोलन बन गया है। मध्य प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन की उपलब्धियों की चर्चा करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि इंदौर ने लगातार सात बार देश का स्वछतम शहर बनने का कीर्तिमान स्थापित किया है। भोपाल को सबसे स्वच्छ राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। राज्य के अनेक शहर वाटर प्लस और ओडीएफ डबल प्लस की श्रेणी में पुरस्कृत हुए हैं। उन्होंने स्वच्छता के क्षेत्र में मध्य प्रदेश की उपलब्धियों का श्रेय अग्रिम पंक्ति के सफाई मित्रों को दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का दूसरा चरण सन 2025 तक चलेगा। इस दौरान हमें संपूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा करना है। हाल ही में उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने भी राजस्थान के झुंझुनू जिला में स्वच्छता ही सेवा अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा कि देश के अधिकांश परिवारों में शौचालयों का नहीं होना एक अभिशाप था। इससे सबसे ज्यादा बेटियों और महिलाओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी लेकिन अब स्वच्छ भारत मिशन से उनका सम्मान और गौरव बड़ा है। यूनिसेफ के सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि अब करीब 93 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि उन्हें सम्मान मिला है और वे सुरक्षित महसूस करती हैं। हाल ही में एक शोध में पाया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के शुरू होने के बाद नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय कमी आई है। शोध के निष्कर्ष में बताया गया है कि भारत में सन 2014 के बाद से हर साल 60,000 से 70,000 नवजात शिशुओं की जान बच रही है।
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