राजभवन और सरकार के बीच आजकल तलवारें खिंची हुई हैं। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कुछ विधेयक इस आधार पर सरकार को लौटा दिए हैं कि उनकी हिंदी और अंग्रेजी की प्रतियों में अंतर या कमियां हैं। त्रुटियों के हवाले से आठ-दस विधेयक लौटाए जा चुके हैं। राज्य सरकार भी पलटवार के मूड में है।
इस विवाद में अगस्त के अंत में सरकार का एतराज तब दिखा, जब राजभवन की खामी को इंगित करते हुए खतियान आधारित स्थानीय नीति, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण और मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक राजभवन को वापस कर दिया ताकि राज्यपाल के संदेश के साथ इसे राज्य सरकार और विधानसभा को उपलब्ध कराया जाए। इन तीनों विधेयक के अपने राजनीतिक निहितार्थ हैं। वोटरों का बड़ा वर्ग इनसे जुड़ा है।
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