मजदूर केंद्रित सिनेमा के रंग
Outlook Hindi|January 08, 2024
ईश्वर ने कहा, 'कामगार हों', और कामगार तबके का जन्म हो गया। ईश्वर सबको एक आंख से देखता है, तो अपनी इंसाफपसंदगी में उसने फिर कहा, 'कामगारों के दुश्मन भी हों, और इस तरह बनिये, महाजन, कॉरपोरेट और उनके रहनुमा भी पैदा हो गए। तब से लेकर अब तक दोनों पक्षों के बीच हास्यास्पद रूप से एक गैर-बराबर जंग मची हुई है।
अभिषेक श्रीवास्तव
मजदूर केंद्रित सिनेमा के रंग

र्ग विभाजन से बनी इस दुनिया को इतने आसान ढंग से समझाते हुए विद्यार्थी चटर्जी जब सत्यजीत रे की महानगर से शुरू करके नौ अध्यायों के अंत में अनामिका हक्सर की फिल्माई पुरानी दिल्ली (घोड़े को जलेबी खिलाने ले जा रिया हू) तक पहुंचते हैं, तो ऐसा लगता है कि कोई सबाल्टर्न इतिहासकार समाज में बीते दशकों के दौरान बदली मजदूरों की जीवन-स्थिति पर क्रोनोलॉजी रच रहा हो।

वरिष्ठ सिने आलोचक विद्यार्थी चटर्जी की पुस्तक 'डिस्पेयर ऐंड डिफायंस: द वर्कर इन इंडियन सिनेमा' अपने दस अध्यायों में फिल्मों का एक महासिनेमा रचती है, जिसके किरदारों में सत्यजीत रे से लेकर मृणाल सेन, एमएस सथ्यू, सईद अख्तर मिर्जा, बुद्धदेब दासगुप्ता, मंगेश जोशी, सुमित्रा भावे, भाऊराव करहड़े और अनामिका हक्सर शामिल हैं।

इन फिल्मकारों की अलग-अलग दौर में बनाई फिल्मों के मुख्य किरदार यानी मजदूर इस पुस्तक का केंद्रीय विषय हैं। मजदूर भी वह नहीं जिसकी छवि यह शब्द सुनते ही दिमाग में आती हो। कोई बूढ़ा पेंशनर है जो झुग्गियों में रहता है। कोई बस का खलासी है तो कोई गराज मिस्त्री। एक आदमी लेथ मशीन पर काम करता है तो दूसरा मध्यवर्ग का कामगार है जो शहर में पैदा हुए अलगाव से परेशान है। यहां महिला श्रमिक हैं, तो ग्रामीण मजदूर भी हैं। और इन सब की परिणति ऐसे गरीब मजदूरों में भी होती है जो व्यवस्था में मजदूरी या कहें काम करने की बुनियादी अवधारणा पर ही सवाल उठा देते हैं।

विद्यार्थी चटर्जी पुस्तक के परिचय में बताते हैं कि भारतीय सिनेमा में मजदूरों के चित्रण में उनकी दिलचस्पी कैसे जगी। जमशेदपुर जैसे औद्योगिक शहर में रहते हुए उनकी पढ़ाई जिस अंग्रेजी स्कूल में हुई, वहां पहली बार उनकी जिज्ञासा जगी कि लोयोला स्कूल के सभागार में उन्हें जो फिल्में दिखाई जाती हैं उनमें मजदूर क्यों नहीं होते जबकि चारों ओर धुआं उगलती चिमनियां और कारखाने मौजूद थे। वे लिखते हैं, "मैं हमेशा इस बात पर अचरज करता था कि रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले शब्द जैसे पोंगा, पगार या नागा से मैं जुड़ क्यों नहीं पाता हूं। शनिवार को जो फिल्में दिखाई जाती हैं उनमें मजदूर वर्ग की कहानियां क्यों नहीं होती हैं?"

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.

Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.

MORE STORIES FROM OUTLOOK HINDIView all
हमेशा गूंजेगी आवाज
Outlook Hindi

हमेशा गूंजेगी आवाज

लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा

time-read
2 mins  |
December 09, 2024
क्या है अमिताभ फिनामिना
Outlook Hindi

क्या है अमिताभ फिनामिना

एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज

time-read
4 mins  |
December 09, 2024
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
Outlook Hindi

'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'

भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।

time-read
4 mins  |
December 09, 2024
सस्ती जान पर भारी पराली
Outlook Hindi

सस्ती जान पर भारी पराली

पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी

time-read
5 mins  |
December 09, 2024
विशेष दर्जे की आवाज
Outlook Hindi

विशेष दर्जे की आवाज

विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया

time-read
5 mins  |
December 09, 2024
महान बनाने की कीमत
Outlook Hindi

महान बनाने की कीमत

नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा

time-read
7 mins  |
December 09, 2024
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
Outlook Hindi

पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?

ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट

time-read
5 mins  |
December 09, 2024
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
Outlook Hindi

स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल

ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया

time-read
4 mins  |
December 09, 2024
जलवायु नीतियों का भविष्य
Outlook Hindi

जलवायु नीतियों का भविष्य

राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।

time-read
3 mins  |
December 09, 2024
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
Outlook Hindi

दोस्ती बनी रहे, धंधा भी

ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम

time-read
5 mins  |
December 09, 2024