शतरंज में भारत की धाक और साख दिनोदिन बढ़ रही है। काले-सफेद 64 खानों में सिमटी इस दुनिया में भारत की उम्मीदों का सारा दारोमदार युवा खिलाड़ियों के कंधों पर है। पिछले दो दशकों में विश्वनाथन आनंद की शतरंज जादूगरी अब भारतीय युवाओं में फल-फूल रही है। 2013 में, मैग्नस कार्लसन चेन्नै में जब विश्वनाथन आनंद को हराकर नए विश्व शतरंज चैंपियन बने थे, तब उसी शहर का एक और सात वर्षीय लड़का खेलना शुरू कर रहा था। उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि एक दिन वह भी इतिहास रचेगा। 11 साल बाद, उसी लड़के ने अब शतरंज में आनंद के बाद एक और नए युग की शुरुआत कर दी है। कार्लसन की उस विजय को खेल के महान खिलाड़ी गैरी कास्परोव ने ‘शतरंज में एक नए युग’ की शुरुआत कहा था। अब एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद, डी गुकेश ने फिडे कैंडिडेट्स 2024 जीत कर रूसी ग्रैंडमास्टर की उस टिप्पणी को चर्चा में ला दिया है।
गुकेश ने जीत कर इतिहास के पन्नों पर अपना नाम तो लिखवाया ही, साथ ही विश्व को एक बार फिर हिंदुस्तान की प्रतिभा से परिचय करा कर हैरान कर दिया। हालांकि, भारत में इस जीत पर कम ही लोग चौंके क्योंकि भारत दक्षिण की काबिलियत से भली भांति परिचित है। माना भले ही जाता रहा हो कि शतरंज का विकास भारत में हुआ और इसे पहले ‘चतुरंग’ नाम से जाना जाता था। लेकिन पारंपरिक रूप से सोवियत संघ (अब रूस) का दबदबा इस खेल में हमेशा रहा। अब हाल के दिनों में, भारतीय शतरंज के खिलाड़ियों ने इस खेल में खलबली मचाई है। इस समय दुनिया में सबसे अस्थिर बात भारत का ‘नंबर 1 शतरंज खिलाड़ी’ है। साल के शुरुआती चार महीनों में, लाइव रेटिंग में भारत के शीर्ष रैंक वाले शतरंज खिलाड़ी की स्थिति लगातार पांच खिलाड़ियों- विश्वनाथन आनंद, गुकेश, प्रगनानंद, अर्जुन एरिगैसी और विदित गुजराती के बीच बदलती रही है। दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो वास्तव में शतरंज की दुनिया में यह भारत का समय है। जैसा कि कास्परोव कहते हैं, ‘‘विषी आनंद के ‘बच्चे’ आजाद हैं!’’ एक नजर उन बच्चों पर जिन्होंने दुनिया में भारत का डंका बजा दिया है।
डोम्माराजू गुकेश
This story is from the May 27, 2024 edition of Outlook Hindi.
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शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम